भारत में रामसर स्थलों की सूची 2024 (Ramsar Sites in India UPSC in Hindi)
Table of Contents
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भारत में स्थित 75 रामसर स्थलों की सूची 2024 (List of Ramsar Sites in India 2024 in Hindi)
1981 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 1981 in Hindi)
1. चिलिका
झील (ओडिशा)
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
1990 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 1990 in Hindi)
3. लोकतक
झील (मणिपुर)
4. वुलर
झील (जम्मू-कश्मीर)
5. हरिके
झील (पंजाब)
6. सांभर झील (राजस्थान)
2002 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2002 in Hindi)
7. कंजली
झील (पंजाब)
8. रोपड़
(पंजाब)
9. कोलेरु
झील (आंध्र प्रदेश)
10. दीपोर बील
(असम)
11. पोंग
बांध झील (हिमाचल प्रदेश)
12. त्सो-मोरीरी (केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख)
13. अष्टमुडी
वेटलैंड (केरल)
14. सस्थमकोट्टा
झील (केरल)
15. वेम्बनाड-कोल वेटलैंड( केरल)
16. भोज
वेटलैंड, भोपाल, (मध्य प्रदेश)
17. भितरकनिका
मैंग्रोव (ओडिशा)
18. प्वाइंट
कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
(तमिलनाडु)
19. पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स (पश्चिम बंगाल)
2005 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2005 in Hindi)
20. चंदेरटल
वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)
21. रेणुका
वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)
22. होकेरा
वेटलैंड (जम्मू और कश्मीर)
23. सूरिंसार-मानसर झीलें (जम्मू-कश्मीर)
24. रुद्रसागर
झील (त्रिपुरा)
25. ऊपरी गंगा नदी, (ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव) (उत्तर प्रदेश)
2012 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2012 in Hindi)
26. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य (गुजरात)
2019 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2019 in Hindi)
27. सुंदर
वन डेल्टा (पश्चिम बंगाल)
28. नंदूर
मधमेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
29. नवाबगंज
पक्षी अभयारण्य, उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
30. केशोपुर-मिआनी कम्युनिटी रिजर्व ( पंजाब)
31. व्यास
संरक्षण रिजर्व (पंजाब)
32. नांगल
वन्यजीव अभयारण्य,रूपनगर ( पंजाब)
33. साण्डी
पक्षी अभयारण्य ,हरदोई (उत्तर प्रदेश)
34. समसपुर
पक्षी अभयारण्य,रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
35. समन
पक्षी अभयारण्य ,मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)
36. पार्वती
अरगा पक्षी अभयारण्य , गोंडा (उत्तर प्रदेश)
37. सरसई नावर झील, इटावा (उत्तर प्रदेश)
2020 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2020 in Hindi)
38. आसन
रिजर्व
(उत्तराखंड)
39. काबर
तल
(बिहार)
40. लोनार
झील
(महारष्ट्र)
41. सुर
सरोवर
या
कीथम झील (आगरा, उत्तर
प्रदेश)
42. त्सो
कर
लेक
(केंद्रशासित
प्रदेश
लद्दाख)
2021 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2021 in Hindi)
43. सुल्तानपुर
राष्ट्रीय उद्यान (हरियाणा)
44. भिंडावास
वन्यजीव अभयारण्य (हरियाणा)
45. थोल झील
वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात)
46. वाधवाना
आर्द्रभूमि (गुजरात)
47. खिजादिया पक्षी अभयारण्य (गुजरात)
48. हैदरपुर वेटलैंड (उत्तर प्रदेश)
49. बखीरा वन्य जीव अभ्यारण (उत्तर प्रदेश)
50. कोंथनकुलम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
51. सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा)
2022 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2022 in Hindi)
52. करीकिली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
53. पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट (तमिलनाडु)
54. पिचवरम मैंग्रोव (तमिलनाडु)
55. पाला आर्द्रभूमि (मिजोरम)
56. साख्य सागर (मध्य प्रदेश)
57. नंदा झील (गोवा)
58. मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व (तमिलनाडु)
59. रंगनाथिटू पक्षी अभयारण्य (कर्नाटक)
60. वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (तमिलनाडु)
61. वेलोड पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
62. सिरपुर आर्द्रभूमि (मध्य प्रदेश)
63. वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
64. उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
65. तंपारा झील (ओडिशा)
66. हीराकुंड जलाशय (ओडिशा)
67. अंशुपा झील (ओडिशा)
68. यशवंत सागर (मध्य प्रदेश)
69. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य (तमिलनाडु)
70. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (तमिलनाडु)
71. वडुवूर पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
72. कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
73. ठाणे क्रीक (महाराष्ट्र)
74. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (जम्मू और कश्मीर)
75. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (जम्मू और कश्मीर)
2024 में शामिल किये गए रामसर स्थल (Ramsar Site in 2024 in Hindi)
76. अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व (कर्नाटक)
77. अघानाशिनी एस्चुएरी (कर्नाटक)
78. मगदी केरे संरक्षण रिजर्व (कर्नाटक)
79. कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
80. लॉन्गवुड शोला रिजर्व फॉरेस्ट (तमिलनाडु)
रामसर साइटों की राज्यवार सूची 2024 (State-wise list of Ramsar Sites 20244 in Hindi)
No. |
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश
|
रामसर साइट |
स्थापना वर्ष |
1. |
ओडिशा |
1. चिलिका झील 2. भितरकनिका मैंग्रोव 3. सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा) 4. तंपारा झील (ओडिशा) 5. हीराकुंड जलाशय (ओडिशा) 6. अंशुपा झील (ओडिशा)
|
1981 2002 2021 2022 2022 2022 |
2. |
राजस्थान |
1. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान 2. सांभर झील
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1981 1990 |
3. |
मणिपुर |
1. लोकतक झील
|
1990 |
4. |
जम्मू-कश्मीर |
1. वुलर झील 2. होकेरा वेटलैंड 3. सुरिनसर-मानसर झील 5. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व 6. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व
|
1990 2005 2005 2022 2022 |
5. |
पंजाब |
1. हरिके झील 2. कंजली झील 3. रोपड़ 4. केशोपुर-मिआनी रिजर्व 5. व्यास संरक्षण रिजर्व 6. नांगल वन्यजीव अभयारण्य
|
1990 2002 2002 2019 2019 2019 |
6. |
आंध्र प्रदेश |
1. कोल्लेरू झील
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2002 |
7. |
असम |
1. दीपोर बील
|
2002 |
8. |
हिमाचल प्रदेश |
1. पोंग डैम झील 2. चंदेरटल वेटलैंड 3. रेणुका वेटलैंड
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2002 2005 2005 |
9. |
लद्दाख |
1. त्सो-मोरीरी 2. त्सो कर लेक
|
2002 2020 |
10. |
केरल |
1. अष्टमुडी वेटलैंड 2. सस्थमकोट्टा झील 3. वेम्बनाड-कोल वेटलैंड
|
2002 2002 2002 |
11. |
मध्य प्रदेश |
1. भोज वेटलैंड 2. साख्य सागर 3. सिरपुर आर्द्रभूमि 4. यशवंत सागर
|
2002 2022 2022 2022 |
12. |
तमिलनाडु |
1. प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव & पक्षी
अभयारण्य 2. कोंथनकुलम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु) 3. करीकिली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु) 4. पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट (तमिलनाडु) 5. पिचवरम मैंग्रोव (तमिलनाडु) 6. मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व 7. वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स 8. वेलोड पक्षी अभयारण्य 9. वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य 10.उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य 11. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य 12. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स 13. वडुवूर पक्षी अभयारण्य 14. कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 15. कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य 16. लॉन्गवुड शोला रिजर्व फॉरेस्ट
|
2002 2021 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2022 2024 2024 |
13. |
पश्चिम बंगाल |
1. पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स 2. सुंदरबन वेटलैंड
|
2002 2019 |
14. |
त्रिपुरा |
1. रुद्रसागर झील
|
2005 |
15. |
उत्तर प्रदेश |
1. ऊपरी गंगा नदी 2. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य 3. साण्डी पक्षी अभयारण्य 4. समसपुर पक्षी अभयारण्य 5. समन पक्षी अभयारण्य 6. पार्वती-अरगा अभयारण्य 7. सरसई नावर झील 8. सुर सरोवर या कीथम झील 9. हैदरपुर वेटलैंड 10. बखीरा वन्य जीव अभ्यारण
|
2005 2019 2019 2019 2019 2019 2019 2020 2021 2021 |
16. |
गुजरात |
1. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य 2. थोल झील वन्यजीव अभयारण्य
3. वाधवाना
आर्द्रभूमि 4. खिजादिया पक्षी अभयारण्य
|
2012 2021 2021 2021 |
17. |
महाराष्ट्र |
1. नंदूर मधमेश्वर अभयारण्य 2. लोनार झील 3. ठाणे क्रीक
|
2019 2020 2022 |
18. |
उत्तराखंड |
1. आसन बैराज़
|
2020 |
19. |
बिहार |
1. काबर ताल
|
2020 |
20. |
हरियाणा |
1. सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान 2. भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य
|
2021 2021 |
21. |
मिजोरम |
1. पाला आर्द्रभूमि |
2022 |
22. |
गोवा |
1. नंदा झील
|
2022 |
23. |
कर्नाटक |
1. रंगनाथिटू पक्षी अभयारण्य 2. अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व 3. अघानाशिनी एस्चुएरी 4. मगदी केरे संरक्षण रिजर्व |
2022 2024 2024 2024 |
रामसर साइट इन ओडिशा 2024
1. चिलिका झील:
चिलिका भारत
का सबसे बड़ा (विश्व की दूसरी) खारे पानी (brackish) का लैगून (अनूपझील) है। यह झील भारत के ओडिशा राज्य
के पूर्वी तट में 1165 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह झील उत्तर-पूर्व
में दया और भार्गवी घाटियों (Daya and Bhargavi valleys) की खेती वाले मैदानों, उत्तर-पश्चिम
और पश्चिम में पुरी और गंजम जिलों (Puri
and Ganjam districts) में पूर्वी घाट के जंगलों द्वारा, तथा दक्षिण और दक्षिण-पूर्व
में बंगाल की खाड़ी द्वारा घिरा हुआ है। लैगून
को मुख्य रूप से लवणता और गहराई के आधार पर चार पारिस्थितिक क्षेत्रों में विभाजित
किया जा सकता है - दक्षिणी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र और बाहरी चैनल।
इसे 1981 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। यह रामसर स्थल घोषित होने वाली पहली भारतीय झील थी। कई लुप्तप्राय(endangered), दुर्लभ, खतरे वाली (threatened) और भेद्य (vulnerable) प्रजातियां यहां पाई जाती हैं, जैसे इरावाडी डॉल्फिन (Irrawady dolphin), डुगॉन्ग (Dugong), ग्रीन समुद्री कछुआ (Green sea turtle), स्पूनबिल (Spoonbill), ब्लैकबक और फिशिंग कैट।
2. भितरकनिका मैंग्रोव:
भीतरकनिका मैन्ग्रोव
(Bhitarkanika Mangroves) भारत के ओड़िशा राज्य में भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में
स्थित है। इसे August 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।भितरकनिका में मैंग्रोव
में वन पाए जाते हैं, जो इंडो-मलायन मैन्ग्रोव समुदाय (Indo-Malayan mangrove community) का
प्रतिनिधित्व करती है। यह भितरकनिका मैंग्रोव दो नदियों ब्राह्मणी और बैतरणी
(Brahmani and Baitarani) के डेल्टा
क्षेत्र में 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यहाँ ज्वार नदियों और क्रीक (creeks)
से लेकर नदी द्वीपों (riverine islands) और अंतर्ज्वारिय क्षेत्र (intertidal
zones) तक के विभिन्न प्रकार के वेटलैंड निवास देखने को मिलता है।
गहिरमाथा समुद्र
तट, जो भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य की पूर्वी सीमा बनाता है, दुनिया में Olive
Ridley Sea Turtle का सबसे बड़ा nesting beach है। Olive Ridley Sea Turtle IUCN रेड
लिस्ट के अनुसार एक लुप्तप्राय प्रजाति है। गहिरामाथा
में हर साल लगभग 5 lakh Olive Ridley Sea Turtle घोंसला बनाते हैं।
भारत में भितरकनिका
में लुप्तप्राय (endangered)
खारे पानी के मगरमच्छ (saltwater crocodile) का उच्चतम घनत्व पाया जाता है। यहाँ ग्रे
पेलिकन (Grey Pelican) भी पाया जाता है. जो कि IUCN Red List के अनुसार एक भेद्य
प्रजाति (vulnerable
species) है। यहाँ Water Monitor Lizard भी पाया जाता है, जो कि भारत के अधिकांश भाग
में दुर्लभ है।
इस क्षेत्र
में समुद्री डॉल्फिन की पांच प्रजातियों पायी जाती है। इस क्षेत्र में पाई जाने वाली सबसे आम
प्रजाति इंडो पैसिफिक हैम्पबैक डॉल्फिन (Indo- pacific Humpbacked Dolphin) है। अन्य
चार प्रजातियां इरावाडी डॉल्फिन (Irrawady Dolphin), Pantropical Spotted Dolphin,
कॉमन डॉल्फिन (Common Dolphin) और फिनलेस ब्लैक प्लेटोइस (Finless Black Porpoise)
हैं।
रामसर साइट इन राजस्थान 2024
1. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:
केवलादेव राष्ट्रीय
उद्यान (केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान) भारत के राजस्थान में स्थित पक्षी अभयारण्य
है। इसको पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
राजस्थान के भरतपुर जिले में गम्भीर और बाणगंगा (Ghambhir and Banganga) नदियों के
संगम पर स्थित है। यह स्थल 28.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, और आगरा शहर
के पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
केवलादेव घाना
राष्ट्रीय उद्यान एक मानव निर्मित और मानव-प्रबंधित आर्द्रभूमि है और भारत के राष्ट्रीय
उद्यानों में से एक है। इसे 1981 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1985 में
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची (UNESCO World Heritage Sites) में भी जोड़ा गया
है।
साइबेरियन क्रेन,
जो कि एक लुप्तप्राय (endangered) प्रजाति
है, भारत में केवल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सर्दियों में नियमित रूप से साइबेरिया
से आती है।
2. सांभर झील:
यह राजस्थान
में जयपुर से 60 किमी पश्चिम में स्थित भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसे
1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। यह 240 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ
है। सांभर झील चार मौसमी नदियाँ (रुपनगढ,मेंथा,खारी,खंड़ेला) से जल प्राप्त करती है।
सांभर के पानी
का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नमक बनाने में किया जाता है। सांभर झील के पानी से बनाये
जाने वाले नमक में बहुत कम पोटेशियम संकेंद्रण (potassium concentration) का पाया जाना इसकी एक विशिष्ट विशेषता
है।इस झील के पानी में कुछ विशिष्ट जीव पाए जाते है, जैसे- green algae, Dunaliella salina आदि।
रामसर साइट इन मणिपुर 2024
1. लोकतक झील:
लोकतक झील मणिपुर
के बिशनपुर जिले में 266 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। भारत के उत्तर पूर्वी
क्षेत्र की सबसे बड़ी प्राकृतिक मीठे पानी की झील है। इसे 1990 में रामसर स्थल घोषित
किया गया था। यह प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले Phumids (तैरती हुई वनस्पति)
(mass of floating vegetation) के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
लोकतक झील पर
सबसे बड़ा तैरता द्वीप "केयबुल लामजाओ" (Keibul Lamjao) कहलाता है और इसका
क्षेत्रफल 40 वर्ग किमी है। यह संगइ हिरण (Sangai deer or Thamin or Brow-antlered
deer) का एकमात्र आवास है जो एक विलुप्तप्राय जाति (endangered species) है। इस फुमदी
(Phumids) को केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय
उद्यान (Keibul Lamjao National Park) के नाम से भारत सरकार ने एक संरक्षित क्षेत्र
घोषित कर दिया है। Keibul Lamjao National Park विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय
उद्यान है।
रामसर साइट इन जम्मू-कश्मीर 2024
1. वुलर झील:
यह झील जम्मू
और कश्मीर राज्य के बांडीपूर (Bandipore)
जिले में स्थित है। इसे 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। यह 189 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। वुलर भारत की सबसे बड़ी ताज़े पानी (मीठे पानी) की झील है जो उत्तर-पूर्वी
की तरफ ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी हुई है। झेलम नदी इस झील में अपना पानी डालती
है।मौसम के अनुसार इस झील के आकार में परिवर्तन होता रहता है। इसका आकार 30 वर्ग किमी
से 260 वर्ग किमी के बीच बदलता है। Tulbul Project, वुलर झील के मुहाने पर स्थित है।
2. होकेरा वेटलैंड:
यह भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के पास स्थित
एक प्राकृतिक स्थायी आर्द्रभूमि क्षेत्र है। इसे November 2005 में रामसर स्थल घोषित
किया गया था। यह 13.75 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह कश्मीर के उत्तर
पश्चिम हिमालय में स्थित है।
3. सुरिनसर-मानसर झील:
सुरिनसर-मानसर
झील अर्ध-शुष्क पंजाब के मैदानों (semi-arid Punjab Plains) में स्थित ताज़ा पानी
(freshwater) के झीलों का एक समूह है। इसे 2005 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
यह 3.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
सुरिनसर झील
(Surinsar Lake) भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के जम्मू ज़िले में स्थित
एक झील है। यह जम्मू शहर से 42 k.m. दूर स्थित है। सुरिनसर झील से लगभग 9 K.m. दूर
मानसर झील (Mansar Lake)
स्थित है। मानसर-सुरिनसर को कभी-कभी जुड़वा झीलों के रूप से देखा जाता है। इन दोनों
झीलों के बीच सुरिनसर मानसर वन्य अभयारण्य स्थित है।
रामसर साइट इन पंजाब 2024
1. हरिके झील:
हरिके झील भारत
के पंजाब राज्य के कपूरथला, फिरोजपुर और अमृतसर जिलों में 41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैली हुई है। इसे 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। हरिके झील 13 द्वीपों
वाला एक उथला पानी (shallow water) का जलाशय है, जो सतलज और ब्यास नदियों के संगम पर
स्थित है।झील आकार में त्रिकोणीय है। हरिके बैराज अमृतसर शहर को फिरोजपुर, फरीदकोट
और भटिंडा (Ferozpur, Faridkot and Bhatinda) के साथ एक राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ता
है।
यहाँ Testudine
turtle और चिकना भारतीय ऊदबिलाव (Smooth Indian otter) जीव प्रजातियों पायी जाती है। इन दोनों जीव प्रजातियों को IUCN Red
list की Threatened category में रखा गया है।
2. कंजली झील:
यह
भारत के पंजाब राज्य के कपूरथला जिले में मानव निर्मित ताजे पानी का आर्द्रभूमि क्षेत्र
है। 1.83 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे बीन नदी (Bien River) पर 1870 में बनाया गया है। बीन
नदी (Bien River) व्यास नदी (Beas River) की सहायक नदी है।
इसे
February 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।कंजली झील को धार्मिक दृष्टिकोण से
पंजाब राज्य में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह सिखों के पहले गुरु श्री
गुरु नानक देव जी से जुड़ा हुआ है।
3. रोपड़:
यह क्षेत्र
निचले हिमालय के शिवालिक तलहटी में स्थित है और 1952 में सतलुज नदी पर, भारत के पंजाब
राज्य में सिंचाई, पीने और औद्योगिक उपयोग करने के लिए बनाया गया था। यह एक मानव निर्मित
ताजे पानी का भंडार है। यह
13.65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे February 2002 में रामसर स्थल घोषित
किया गया था।
भारतीय ओटर
(Indian otter), सांभर और हॉग हिरण
(Hog deer) (वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,
1972 की अनुसूची -1 में शामिल) इस आर्द्रभूमि में पाए जाते है। यह लुप्तप्राय भारतीय
पैंगोलिन (Indian Pangolin) का आवास भी है।
4. केशोपुर - मिआनी कम्युनिटी रिजर्व:
यह भारत के
पंजाब राज्य में रावी और ब्यास नदियों के बाढ़ के मैदानों में स्थित है। यह 3.439 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला
हुआ है। इसे September 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
यहाँ लुप्तप्राय
(endangered) चित्तीदार तालाब कछुआ
(spotted pond turtle) और common pochard पाया जाता है।
5. व्यास संरक्षण रिजर्व:
यह भारत के
पंजाब राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ब्यास
संरक्षण रिजर्व, ब्यास नदी का 185 किलोमीटर का विस्तार (stretch) है। यह 64.289 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में
फैला हुआ है। इसे 2019 में
रामसर स्थल घोषित किया गया था।
6. नांगल वन्यजीव अभयारण्य, रूपनगर:
भारत के पंजाब
में चंडीगढ़ से 100 किमी पर स्थित है। यह
स्थल पंजाब के शिवालिक तलहटी में स्थित है।
यह 1.16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। यह एक
मानव निर्मित जलाशय है जिसे
1961 में भाखड़ा-नांगल परियोजना (Bhakra-Nangal
Project) के हिस्से के रूप में निर्मित किया गया था। इसे 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया
था।
यह लुप्तप्राय
भारतीय पैंगोलिन (Indian pangolin) और Egyptian vulture और तेंदुए का आवास स्थल है।
यह स्थल ऐतिहासिक महत्व का है, क्योंकि भारतीय और चीनी प्रधानमंत्रि ने 1954 में
"शांतिपूर्ण सिद्धांतों के पाँच सिद्धांतों" (Five Principles of Peaceful
Coexistence) को यही पर औपचारिक रूप दिया था।
रामसर साइट इन आंध्र प्रदेश 2024
1. कोल्लेरू झील:
कोलेरु झील
भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झीलों (freshwater lake) में से एक है जो आंध्र प्रदेश
राज्य में दो जिलों में फैला है - कृष्णा और पश्चिम गोदावरी जिला। यह गोदावरी और कृष्णा
नदियों के नदी घाटियों के बीच स्थित है। यह
901 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। कोल्लेरू झील को मुख्य रूप से दो मौसमी
नदियों, बुडामेरू (Budameru)
और तम्मिलेरू (Tammileru)
द्वारा जल प्रदान किया जाता है। झील अंततः
उप्पुतेरु नदी (Upputeru River) के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
यह बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों के लिए एक निवास स्थान है। इसे 2002 में रामसर
स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन असम 2024
1. दीपोर बील:
दीपोर बील एक
ताजे पानी की झील (freshwater
lake) है, जो कि भारत के असम राज्य के कामरूप जिले में स्थित है। यह गुवाहाटी शहर के
दक्षिण-पश्चिम में और ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के दक्षिणी तट पर स्थित
है। यह 40 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे
November 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन हिमाचल प्रदेश 2024
1. पोंग डैम झील:
पोंग बांध भारत
के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ जिला में स्थित है। पोंग बांध एक जल संग्रहण जलाशय
(water storage reservoir) है, जो 156.62 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह गंगा के मैदान (Indo-Gangetic plain) के उत्तरी किनारे पर हिमालय की तलहटी के पास
ब्यास नदी पर स्थित है। इसे
November 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
2. चंदेरटल वेटलैंड:
चंदेरताल पश्चिमी
हिमालय के ठंडे रेगिस्तानी भाग में,हिमालय और पीर पांचाल
पर्वतमाला को जोड़ने वाले कुंजम दर्रे
(Kunzam pass) के पास स्थित एक
ताजे पानी (freshwater) की आर्द्रभूमि है। यह हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले
में, चंद्र नदी (Chandra
River) के ऊपरी चंद्र घाटी
(upper Chandra valley) में स्थित
है। चंद्र ताल से चंद्र
नदी का उद्गम होता
है जो आगे चलकर
भागा नदी (सूरज ताल
से भागा नदी का
उद्गम होता है) से
मिलकर चंद्रभागा और जम्मू-कश्मीर
में जाकर चेनाब कहलाने
लगती है। चंदेरटल वेटलैंड 0.49 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे
2005 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
यहाँ पर अपरिपक्व
ग्लेशियर प्रकार की मिट्टी (immature
glacier type of soil) पायी जाती है।यहाँ CITES और IUCN रेड-लिस्टेड प्रजातियाँ जैसे
Snow Leopard, Bobak Marmot, Royal's vole, Himalayan Ibex, Blue sheep आदि पायी जाती
है।
3. रेणुका वेटलैंड:
रेणुका वेटलैंड
हिमाचल प्रदेश राज्य में जिला सिरमौर (Sirmaur)
में स्थित है। यह एक प्राकृतिक आर्द्रभूमि है, जिसे गिरि नदी से निकलने वाली एक छोटी
धारा द्वारा जल प्राप्त होता है। यह 0.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। भारत
की सबसे छोटी रामसर साइट रेणुका वेटलैंड है। इस झील का धार्मिक महत्व अधिक है। इसका
नाम हिंदू ऋषि परशुराम की मां के नाम (देवी
रेणुका) पर रखा गया है और इसे पवित्र मानते हुए हजारों तीर्थयात्री और पर्यटक यहाँ
पर आते है। इसे 2005 में
रामसर स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन लद्दाख 2024
1. त्सो-मोरीरी:
त्सोमोरिरी
को दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में
से एक के रूप में जाना जाता है। यह केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के चांगथांग पठार क्षेत्र
में स्थित एक मीठे पानी के साथ-साथ खारी झील भी है। झील से पानी का निकास न होने के कारण
यह एक खारे पानी की झील है। यह
120 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह झील 4,522 मी॰ की ऊंचाई पर स्थित है।
इसे November 2002 में रामसर स्थल
घोषित किया गया था।
त्सोमोरिरी
ट्रांस-हिमालयन बायोग्राफिकल ज़ोन में एक वेटलैंड प्रकार का एक अनूठा उदाहरण है।
Tsomoriri और Tsokar वेटलैंड्स भारत में Barheaded goose के एकमात्र प्रजनन क्षेत्र
और चीन के बाद ब्लैकनेक क्रेन (Blacknecked crane) को एकमात्र ब्रीडिंग ग्राउंड
प्रदान करते है।
2. त्सो कर लेक:
त्सो कार एक
उच्च ऊंचाई (high
altitude) में स्थित आर्द्रभूमि है, जो केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के चांगथन क्षेत्र
(Changthan region) में स्थित है।
इसमें दो कनेक्टेड झीलें, मीठे पानी (freshwater)
का स्टार्टपसुक त्सो (Startsapuk Tso) और hypersaline त्सो कार (Tso Kar) शामिल हैं। यह freshwater
और hypersaline प्रकार की दो ऐसे
झीलों का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करता है जो निकटता में विद्यमान हैं।
यह 95.77 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। इसे
November 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। इसे भारत की 42 वीं रामसर साइट के
रूप में भी जाना जाता है।
यह क्षेत्र Central Asian
Flyways के मार्ग में स्थित है जो प्रवासी पक्षियों
के लिए एक महत्वपूर्ण stopover
ground के रूप में कार्य करती है और सबसे महत्वपूर्ण प्रजनन स्थलों में से एक है। इस
बेसिन का विशिष्ट चरित्र अर्थात् नमक और मीठे पानी दोनों की उपस्थिति, इसे न केवल लद्दाख में, बल्कि पूरे भारतीय
उपमहाद्वीप में एक अद्वितीय आर्द्रभूमि बनाती है।कई खतरे वाली प्रजातियां जैसे लुप्तप्राय
(endangered) saker falcon और एशियाई जंगली कुत्ता
या ढोल (Asiatic wild dog or dhole), और संवेदनशील (vulnerable) हिम तेंदुआ (snow
leopard) इस जगह पर रहते हैं। स्थानीय चंगपा समुदाय द्व्रारा इस आर्द्रभूमि को पवित्र
माना जाता है।
रामसर साइट इन केरल 2024
1. अष्टमुडी वेटलैंड:
यह केरल के
कोल्लम जिले में 614 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। अष्टमुडी केरल का दूसरा
सबसे बड़ा वेटलैंड है और estuarine system का हिस्सा है। यह एक अनूप झील है। अष्टमुडी
को जल प्रदान करने वाली प्रमुख नदी कल्लदा नदी (Kallada River) है, जो तीन नदियों (Kulathupuzha, Chendurni and Kalthuruthy)
के संगम से बनी है। इसे November 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
2. सस्थमकोट्टा झील:
सस्थमकोट्टा
झील केरल की सबसे बड़ी ताजे
पानी की झील है। यह केरल के कोल्लम जिले में 3.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ
है।यह कोल्लम जिले के लोगों के लिए पीने के पानी का स्रोत है। इसे November 2002 में
रामसर स्थल घोषित किया गया था।
3. वेम्बनाड-कोल वेटलैंड:
वेम्बनाड-कोल
भारत की सबसे बड़ी झील है और केरल राज्य की भी सबसे बड़ी झील है। 1512.5 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र के क्षेत्र के साथ, यह पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के बाद भारत में दूसरा सबसे
बड़ा रामसर साइट है। इसे
November 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।इस झील की सीमा अलप्पुझा, कोट्टायम
और एर्नाकुलम जिलों (Alappuzha,
Kottayam, and Ernakulam districts) से लगती है। Nehru Trophy Boat Race झील के एक हिस्से
में आयोजित की जाती है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय वेटलैंड्स संरक्षण कार्यक्रम (National
Wetlands Conservation Programme) के तहत वेम्बनाड वेटलैंड की पहचान की है।
वेम्बनाड-कोल
भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर सबसे बड़ा खारा, आर्द्र उष्णकटिबंधीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी
तंत्र है। वेम्बनाड-कोल वेटलैंड को 10 नदियों द्वारा जल प्राप्त होता है और ये सभी
नदियाँ पश्चिमी घाट से उत्पन्न होती हैं। वेम्बनाड-कोल वेटलैंड 96 किमी लंबी एक निरंतर
श्रृंखला के लैगून या बैकवाटर्स की विशेषता का निर्माण करती है, जो केरल में सबसे बड़ी
estuarine system में से एक है।
वेम्बनाड-कोल
वेटलैंड सर्दियों के महीनों के दौरान भारत में जल पक्षियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी
को आवास प्रदान करता है।यहाँ लुप्तप्राय प्रजातियों में Spot-billed Pelican;
Oriental Darter; Water Cock & Black-billed Tern आदि पाए जाते है।
रामसर साइट इन मध्य प्रदेश 2024
1. भोज वेटलैंड:
भोज वेटलैंड
भारत के मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर में स्थित मानव निर्मित दो झीलें हैं,
जो की ऊपरी झील (Bhojtal) और निचली
झील (Upper and Lower lakes) नाम से जानी जाती है। यह 32.01 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ
है। ऊपरी झील 11 वीं शताब्दी में
कोलान नदी (Kolans River) पर एक बांध का निर्माण करके बनाई गई थी, जो दक्षिण में वन
विहार राष्ट्रीय उद्यान (Van Vihar National Park) से घिरा हुआ है, और निचला भाग चारों
ओर से मानव बस्तियों से घिरा हुआ है। इसे
November 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन तमिलनाडु 2024
1. प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य:
यह तमिलनाडु
के नागप्पट्टनम जिले के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यह 385 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
में Point Calimere Wildlife Sanctuary (WLS), Great Vedarnyam Swamp (GVS) और
Talaignayar Reserve Forest (TRF) शामिल हैं। इसे 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
Point Calimere
क्षेत्र को पहली बार 1962 में डॉ सलीम अली द्वारा पक्षियों के लिए उच्च संरक्षण महत्व
के क्षेत्र के रूप में पहचाना गया था। यह एक समुद्री-तटीय आर्द्रभूमि है जिसमें विभिन्न
प्रकार के निवास स्थान और पारिस्थितिक विशेषताएं हैं, जिसमें intertidal salt marshes,
forested wetlands, mangroves and brackish to saline lagoons शामिल हैं। यहाँ 209
से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई है। IUCN Red List के अनुसार यहाँ endangered Grey Pelican, endangered
Asian Dowitcher, vulnerable Spoonbill
Sandpiper आदि पाए जाते है।
रामसर साइट इन पश्चिम बंगाल 2024
1. पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स:
पूर्व कलकत्ता
वेटलैंड्स प्राकृतिक और मानव निर्मित मिश्रित आर्द्रभूमि हैं। यह पश्चिम बंगाल के कोलकाता
शहर, में स्थित है। यहाँ
कई स्थानों पर सीवर निष्कासन भी होता है। यह 125 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ
है। इसे 2002 में रामसर
साइट के रूप में नामित किया गया था। यहाँ Marsh
mongoose, small Indian mongoose, Palm civet and Small Indian civet जैसे दुर्लभ स्तनधारियों
पाए जाते है।
2. सुंदरबन वेटलैंड:
सुंदरबन वेटलैंड
पश्चिम बंगाल में दो प्रशासनिक जिलों 24-परगना (दक्षिण) और 24 परगना (उत्तर) 4230 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र में में फैला हुआ है। सुंदरबन वेटलैंड भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल
है। इसे 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।यह पश्चिम में हुगली नदी, पूर्व में
इचमाती-कालिंदी-रायमंगल (Ichamati-Kalindi-Raimangal),
उत्तर में डंपियर-होजेस लाइन (Dampier-Hodges
line) और दक्षिण में बंगाल की खाड़ी से घिरी
हुई है। सुंदरबन आर्द्रभूमि दुनिया के
सबसे बड़े मैंग्रोव वन के भीतर स्थित है। सुंदरवन पूरे देश में कुल मैंग्रोव वन क्षेत्र
का 60% से अधिक का गठन करता है और कुल भारतीय मैंग्रोव प्रजातियों का 90% है।
सुंदरबन टाइगर
रिजर्व, सुंदरबन वेटलैंड के भीतर स्थित है और राष्ट्रीय कानून के तहत "महत्वपूर्ण
बाघ निवास" के रूप में घोषित किया गया है। यह वैश्विक महत्व का "टाइगर कंजर्वेशन
लैंडस्केप" भी है। सुंदरवन एकमात्र मैंग्रोव आवास है जहां बाघों की एक महत्वपूर्ण
आबादी पायी जाती है।टाइगर
रिज़र्व बड़ी संख्या में लुप्तप्राय और विश्व स्तर पर खतरे में पड़ी प्रजातियों जैसे
fishing cat and estuarine crocodile, Gangetic and Irrawady Dolphin, King cobra आदि
का घर है।
रामसर साइट इन त्रिपुरा 2024
1. रुद्रसागर झील:
रुद्रसागर झील
पूर्वोत्तर की पहाड़ियों में स्थित एक तराई अवसादन जलाशय (lowland sedimentation reservoir) है,
जिसे तीन बारहमासी नदियों Oacherra, Durlavnaraya cherra and Kemtalicherra द्वारा
जल प्राप्त होता है। यह 2.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पश्चिम त्रिपुरा
जिले में सोमुरा सब-डिवीजन के तहत मेलाघर ब्लॉक में स्थित है और त्रिपुरा राज्य की
राजधानी से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। इसे
2005 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन उत्तर प्रदेश 2024
1. ऊपरी गंगा नदी ,ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव:
यह भारत के
उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित
है। यह बृजघाट से नरोरा तक 85 किमी की लम्बाई में है। यह 265.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। इसे
2005 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। Upper Ganga River CITES, IUCN Redbook में
सूचीबद्ध गंगा नदी डॉल्फ़िन (Ganges
river dolphins), मगरमच्छों की प्रजातियां पायी जाती हैं। राष्ट्रीय कानून के तहत इन
प्रजातियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I में संरक्षित किया गया है।
2. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य:
नवाबगंज पक्षी
अभयारण्य भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले में नवाबगंज शहर के पास राष्ट्रीय
राजमार्ग 25 पर स्थित एक उथला दलदल है। यह 2.246 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ
है। इसे मानसून की बारिश और सरदा नहर द्वारा अतिरिक्त पानी की आपूर्ति की जाती है।
यह लखनऊ से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है।
इसे 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
3. साण्डी पक्षी अभयारण्य:
उत्तर प्रदेश
राज्य में हरदोई जिले के बिलग्राम तहसील में स्थित है। साण्डी पक्षी अभयारण्य एक मीठे
पानी का दलदल (freshwater
swamp) है जो वास्तव में भारत-गंगा के मैदानों (Indo- Gangetic Plains) की पारिस्थितिकी प्रणालियों की विशेषता
का प्रतिनिधित्व करता है। यह 30.85 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
इसे 2019 में रामसर स्थल घोषित
किया गया था।
वेटलैंड के
लिए पानी का मुख्य स्रोत मानसूनी बारिश है, जो प्राकृतिक झरनों के माध्यम से इसको प्राप्त
होती है।यहाँ common teal, red-crested pochard and ferruginous duck, while the
vulnerable sarus crane आदि प्रजातियां पायी जाती है। Bluebuck, जो एशिया की एक स्थानिक स्तनधारी प्रजाति
हैं, इस क्षेत्र में पायी जाती
है।
4. समसपुर पक्षी अभयारण्य:
समसपुर पक्षी
अभयारण्य उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सलोन तहसील में स्थित इंडो-गंगा मैदानी
क्षेत्र (Indo-Gangetic
Plains) की एक बारहमासी तराई का विशिष्ट क्षेत्र है। इसकी जुड़ी 6 झीलें (समसपुर, ममानी,
गोरवा, हसनपुर, हक्कगंज और रोहनियारे) मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर हैं। समसपुर
वेटलैंड बारहमासी है और शारदा नहर से पानी प्राप्त करता है। यह 79.94 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला
हुआ है। इसे October
2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।समसपुर पक्षी अभयारण्य लुप्तप्राय Egyptian
vulture and Pallas's fish eagle और
vulnerable common pochard जैसी प्रजातियों का आवास है।
5. समन पक्षी अभयारण्य:
यह उत्तर प्रदेश
राज्य में मैनपुरी जिले की करहल तहसील में गाँव समन के पास स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1990 में हुई थी।
यह 52.63 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। यह वार्षिक मानसून वर्षा से जल प्राप्त करता है। समन पक्षी अभयारण्य
एक मौसमी झील है जो
आम तौर पर गंगा
के बाढ़ के मैदानों
का द्योतक (representative) है। इसे December 2019 में रामसर स्थल
घोषित किया गया था।
6. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य:
यह उत्तर प्रदेश
राज्य के गोंडा जिले में तरबगंज तहसील में स्थित है। पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य एक स्थायी
मीठे पानी का आर्द्रभूमि है जिसमें दो झीलें हैं। इस अभयारण्य का नाम इसमें स्थित दो
गोखुरझीलों पर रखा गया है - पार्वती झील और अरगा झील। यह सरयू नदी का एक हिस्सा था।
जब नदी ने अपना प्रवाह मार्ग बदला तो इन झीलों को इसके अवशेष के रूप में छोड़ दिया
गया। यह उत्तर प्रदेश राज्य के सबसे बड़े प्राकृतिक आर्द्रभूमि में से एक है।
यह 7.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। इसे
December 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य में
गंभीर रूप से लुप्तप्राय (critically
endangered) White-rumped
vulture, Indian vulture, and लुप्तप्राय (endangered) Egyptian vulture में आदि पाए
जाते है।
7. सरसई नावर झील:
सरसाई नवर वेटलैंड
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले
में स्थित एक पक्षी अभयारण्य है। इसका लक्ष्य वाटरबर्ड्स (waterbirds), विशेष रूप से सारस क्रेन
(Sarus Crane) का संरक्षण करना
है। सरसई नवर झेल एक स्थायी
उथला दलदल है। यह 16.13 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे 2019 में रामसर स्थल घोषित किया गया
था। सरसई नावर झील क्षेत्र
में गंभीर रूप से लुप्तप्राय (critically endangered) White-rumped vulture, लुप्तप्राय
(endangered) woolly-necked stork आदि पाए
जाते है।
8. सुर सरोवर या कीथम झील:
सुर सरोवर,
जिसे कीथम झील के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश राज्य में आगरा शहर से 20 किमी
पर यमुना नदी के किनारे स्थित एक मानव निर्मित जलाशय है। यह 4.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला
हुआ है। इसे August
2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। यह झील मूल रूप से गर्मियों में आगरा शहर को
पानी की आपूर्ति करने के लिए बनाई गई थी, लेकिन जल्द ही यह आर्द्रभूमि एक महत्वपूर्ण
और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बन गई।
रामसर साइट इन गुजरात 2024
1. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य:
नालसरोवर पक्षी
अभयारण्य गुजरात के सुरेंद्रनगर और अहमदाबाद जिलों के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में
है। यह 120 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे
2012 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। नालसरोवर आर्द्रभूमि लुप्तप्राय भारतीय जंगली
गधा (Indian Wild Ass) का भी निवास स्थान है जो शुष्क मौसम में इस क्षेत्र का उपयोग
करता है। काला हिरन (Blackbuck) स्तनधारी प्रजाति भी इस अभयारण्य में पाई जाती है।
रामसर साइट इन महाराष्ट्र 2024
1. नंदूर मधमेश्वर पक्षी अभयारण्य:
यह गोदावरी
और कदवा नदी (Kadawa
River) के संगम पर महाराष्ट्र के नासिक जिले की निफाड़ (Niphad) तहसील में स्थित है। यह
14.37 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे September 2019 में रामसर स्थल घोषित
किया गया था। यह महाराष्ट्र
की पहली रामसर साइट है।
यह स्थल भारत
की कुछ सबसे प्रतिष्ठित प्रजातियों, जैसे तेंदुआ और भारतीय चंदन (Indian
sandalwood), गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों Deolali minnow, Indian vulture
and white- rumped vulture को आश्रयगृह प्रदान करती है।
2. लोनार झील:
लोनार झील, जिसे लोनार क्रेटर के रूप में भी जाना जाता है, एक अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्थल है जो महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले (Buldhana district) में स्थित एक प्राकृतिक, खारे पानी की झील है। इसका निर्माण डेक्कन ट्रैप क्षेत्र में उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था। झील में पानी खारा और क्षारीय दोनों है। लोनार झील का व्यास 1.2 किलोमीटर है और यह क्रेटर रिम से लगभग 137 मीटर नीचे है। यह 4.27 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे July 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
रामसर साइट इन उत्तराखंड 2024
1. आसन बैराज़:
आसन बैराज़ उत्तराखंड
के देहरादून जिले में धालीपुर के पास आसन नदी और यमुना नदी नहर के संगम पर मीठे पानी
वाली आर्द्रभूमि प्रणाली शामिल है। यह
4.44 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था। यह उत्तराखंड
की पहली रामसर साइट (Uttarakhand's
first Ramsar site) है।आसन बैराज़ क्षेत्र में गंभीर रूप से लुप्तप्राय लाल सिर वाले
गिद्ध (red-headed vulture), सफ़ेद दुम वाले गिद्ध (white-rumped vulture) और बेयर
पोचर्ड (Baer's pochard) आदि
पाए जाते है।
रामसर साइट इन बिहार 2024
1. काबर ताल:
काबर ताल भारत
के बिहार राज्य के बेगूसराय
जिले में मीठे पानी की एक उथली झील है। काबर
ताल वेटलैंड, जिसे कंवर झील के नाम से भी जाना जाता है, Burhi Gandak and
paleochannel of River Bagmati के बीच के अवसाद में घिरी हुई आर्द्रभूमि है।
यह 26.20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
में फैला हुआ है। इसे 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था (first Ramsar site in Bihar) । पांच गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां
साइट पर निवास करती हैं, जिनमें तीन गिद्ध शामिल हैं- लाल सिर वाला गिद्ध (red-headed
vulture), white-rumped vulture और भारतीय गिद्ध (Indian vulture) और दो वॉटरबर्ड,
sociable lapwing और Baer's pochard ।
भारत में वेटलैंड के प्रकार (Wetland Types of India)
भारत
में वेटलैंड्स को चार प्रमुख
प्रकारों में स्थलाकृतिक भिन्नता
के आधार पर वर्गीकृत
किया गया है-
1) हिमालयी
आर्द्रभूमि,
2) गंगा
के मैदान में आर्द्रभूमि,
3) रेगिस्तान
में आर्द्रभूमि और
4) तटीय
आर्द्रभूमि।
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (National Wetlands Conservation Programme (NWCP) in Hindi)
भारत में रामसर साइटों सहित पहचान किए गए आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) वर्ष 2012-13 में लागू किया गया था। NWCP को बाद में झीलों और आर्द्रभूमि के समग्र संरक्षण को प्राप्त करने के लिए National Lake Conservation Plan (NLCP) और National Plan for Conservation of Aquatic Eco- systems' (NPCA) में विलय किया गया।
NPCA/NWCP आर्द्रभूमि चयन के लिए मानदंड-
1. दुर्लभ या
अद्वितीय वेटलैंड प्रकार;
2. प्रजातियों
और पारिस्थितिक समुदायों के आधार पर मानदंड;
3. पानी के
पक्षियों पर आधारित विशिष्ट मानदंड;
4. मछली पर
आधारित विशिष्ट मानदंड; तथा
5. पानी / जीवन
और संस्कृति पर आधारित विशिष्ट मानदंड।
रामसर कन्वेंशन क्या है? (What is Ramsar Convention in Hindi?)
रामसर
कन्वेंशन वेटलैंड्स के संरक्षण और
धारणीय उपयोग के लिए एक
अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो
आर्द्रभूमि के मौलिक पारिस्थितिक
कार्यों और उनके आर्थिक,
सांस्कृतिक, वैज्ञानिक मूल्य को मान्यता देता
है। रामसर ईरान का एक
शहर है, जहां 2 फरवरी
1971 में आर्द्रभूमि के संरक्षण और
स्थायी उपयोग के लिए एक
अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर
किए गए थे। इसलिए
इसे रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) के नाम से जाना जाता है। यह 21 दिसंबर 1975 से प्रभाव में
आया।
रामसर कन्वेंशन
का उद्देश्य दुनिया में महत्वपूर्ण वेटलैंड्स की सुरक्षा करना है| रामसर कन्वेंशन का मिशन दुनिया
में स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
के माध्यम से सभी आर्द्रभूमि
का संरक्षण और उचित व
समावेशी उपयोग करना है। रामसर
कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्ताओं को
उन कानूनों को तैयार करना
पड़ता है, जो उनके
क्षेत्र में सूचीबद्ध आर्द्रभूमि
के संरक्षण और समावेशी उपयोग
को सुनिश्चित करते हो। जब किसी
वेटलैंड को रामसर साइट
घोषित कर दिया जाता
है तो उसे कड़े
दिशा-निर्देशों के तहत संरक्षित
किया जाता है|
दुनिया भर में
लगभग 2100 रामसर साइटें हैं जिनमें सबसे अधिक क्षेत्र कनाडा के रामसर साइटों द्वारा
कवर किया गया है। रामसर सचिवालय (2013) के अनुसार यूरोप में 1052 रामसर स्थल हैं; एशिया
में 289 साइटें; अफ्रीका में 359 साइटें; दक्षिण अमेरिका में 175 साइटें; उत्तरी अमेरिका
में 211 साइटें; और ओशिनिया क्षेत्र में 79 साइटें हैं, जिन्हें रामसर साइटों या अंतर्राष्ट्रीय
महत्व के आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया है। दुनिया की पहली रामसर साइट ऑस्ट्रेलिया
में कोबोर प्रायद्वीप (Cobourg Peninsula) थी, जिसे 1974 में नामित किया गया था।
अक्टूबर 1981 में, भारत के पहले दो रामसर स्थलों (first Ramsar Sites of India) के रूप में चिलिका झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को नामित करते हुए भारत रामसर कन्वेंशन के लिए एक अनुबंधीय पक्ष (contracting party) बन गया।
मोंट्रेक्स रेकॉर्ड क्या है? (Montreux Record in Hindi)
मोंट्रेक्स रेकॉर्ड (Montreux Record) की स्थापना Conference of the Parties 1990 में (cop 1990) में की गई थी। मोंट्रेक्स रेकॉर्ड (Montreux Record) अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड साइटों की एक सूची है, जहां पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप होने की संभावना है|
यह अंतरराष्ट्रीय
महत्व के ऐसे विशिष्ट
आर्द्रभूमि को उजागर करने
के लिए एक स्वैच्छिक
तंत्र है जो वर्तमान
में चुनौतियों
का सामना कर रहे हैं।
ऐसे आर्द्रभूमि को मोंट्रेक्स
रेकॉर्ड (Montreux
Record) में शामिल किया जाता है
ताकि उनके संरक्षण पर
विशेष ध्यान दिया जा सके।
मोंट्रेक्स रेकॉर्ड (Montreux
Record) रामसर
सूची के
एक भाग के रूप
में बनाया गया है।
Montreux Record के तहत भारतीय साइटें | Indian sites on the Montreux Record in Hindi
वर्तमान में 2 भारतीय साइटें इसके अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। 1993 में चिल्का झील को Siltation की समस्या के कारण मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन बाद में 2002 में, इसे सूची से हटा दिया गया।
1. Keoladeo
National Park (Rajasthan)
2. Loktak
Lake (Manipur)
विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day in Hindi)
प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है है। इसी तिथि को 2 फरवरी, 1971 में ईरान के रामसर शहर में रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) पर हस्ताक्षर किये गये थे। विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) पहली बार 1997 में मनाया गया था।
वेटलैंड/ आर्द्रभूमि क्या है (What is Wetland in Hindi?)
आर्द्र भूमि
(Wetland) एक ऐसी जगह है जहां जमीन पानी से ढकी होती है। तालाब, झील, नदी का डेल्टा
या समुद्र का किनारा आदि जगहों को वेटलैंड कहते है| ऐसी जगहें जहाँ दलदली गीली मिट्टी
पाई जाती है उनको भी वेटलैंड की श्रेणी में डाला गया है|
रामसर
सम्मेलन के अनुसार "वेटलैंड्स"
हैं: "दलदल marsh,पंकभूमि(fen),
पीट भूमि या पानी
के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक या
कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, पानी
के साथ चाहे स्थैतिक
हो या बहता हो,
ताजा, खारा या नमकीन
हो, इसमें समुद्री पानी के क्षेत्र
भी शामिल हैं, जिसमें कम ज्वार (low tide) पर
भी गहराई 6 मीटर से
अधिक नहीं हो”।
("Wetlands" are: "areas of marsh, fen, peat land or
water, whether natural or artificial, permanent or temporary, with water that
is static or flowing, fresh, brackish or salt, including areas of marine water
the depth of which at low tide does not exceed six meters").
अधिवेशन (अनुच्छेद 2.1) में आगे कहा गया है कि आर्द्रभूमि "may incorporate riparian and coastal zones adjacent to the wetlands, and islands or bodies of marine water deeper than six meters at low tide within the wetlands".
आर्द्रभूमि क्षेत्र का महत्त्व (Importance of wetland in Hindi)
आर्द्रभूमि
पृथ्वी पर सबसे उत्पादक
पारिस्थितिक तंत्रों में से एक
है। यह मानव समाज के लिए
कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है जैसे सिंचाई
के लिए पानी, मत्स्य
पालन, गैर-इमारती लकड़ी
के उत्पाद, पानी की आपूर्ति,
पोषक तत्वों को हटाने, विष
प्रतिधारण (toxics retention) और जैव विविधता रखरखाव
आदि।
प्राथमिक
महत्व के इन प्रमुख
सेवाओं में शामिल हैं:
कार्बन पृथक्करण (Carbon sequestration); कटाव नियंत्रण (वेटलैंड्स
वनस्पति का समर्थन करता
है जो बाढ़ बफर
के रूप में कार्य
करता है और बाढ़
की घटनाओं के दौरान कटाव
को कम करता है);
बाढ़ के पानी का
भंडारण (भारी बारिश और
बाढ़ की घटनाओं के
दौरान पानी को स्टोर
करना और फिर धीरे-धीरे पानी छोड़ना
जिससे नुकसान काफी कम हो
जाता है); भूजल पुनर्भरण
(संग्रहित सतही जल जमीन
में चला जाता है
और aquifers को रिचार्ज करता
है जो धीरे-धीरे
आस-पास की सतह
के जल निकायों को
कम प्रवाह अवधि के दौरान
पानी प्रदान करता है); जल
शोधन ( तलछट को रोकने
में, अपवाह में मौजूद अतिरिक्त
पोषक तत्वों का उपयोग, और
कई जलजनित दूषित पदार्थों को तोड़ना); मनोरंजन
और आर्थिक लाभ (सांस्कृतिक विरासत,
मनोरंजन प्रयोजनों, लंबी पैदल यात्रा,
बर्ड वॉचिंग, वन्यजीव फोटोग्राफी)।
यह देखा गया है
कि आर्द्रभूमि पानी को अवशोषित
करके बाढ़ के प्रभाव
को कम करती है
और पानी के प्रवाह
की गति को कम
करती है। इस आर्द्रभूमि
को पारंपरिक बाढ़ नियंत्रण निवेश
जैसे बांधों और तटबंधों के
लिए एक प्राकृतिक पूंजी
विकल्प माना जाता है।
इसके अलावा, वे बाढ़ के
दौरान निलंबित ठोस और पोषक
तत्वों को रोक कर रखते हैं।
वे कार्बन पृथक्करण Carbon
sequestration में भी, विशेष रूप
से तटीय आर्द्रभूमि में
प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कृषि और
शहरी परिदृश्य में वे दूषित
पदार्थों के लिए एक
सिंक के रूप में
कार्य करते हैं। प्राकृतिक
आर्द्रभूमि सतह और उपसतह
अपवाह से नाइट्रेट्स और
फास्फोरस को हटा देती
है। इस प्रकार, आर्द्रभूमि
को बिंदु और गैर-बिंदु
प्रदूषण को कम करने
के लिए कम लागत
के उपाय के रूप
में सुझाया गया है। वेटलैंड्स
प्रजाति की विविधता को
बनाए रखने में भी
मदद करते हैं क्योंकि
कई जीव प्रजातियां अपने
पूरे जीवन चक्र के
लिए या अपने जीवन
के इतिहास के किसी विशेष
चरण के लिए इस
पर निर्भर करती हैं। मूल
रूप से वेटलैंड्स एक
ऐसी वातावरण प्रदान करके खाद्य श्रृंखला
का समर्थन करते हैं जहां
प्रकाश संश्लेषण हो सकता है
और पोषक तत्वों का
चक्रण होता है।
Best🙏👍
जवाब देंहटाएंPdf चाहिए ।
जवाब देंहटाएंBahut achcha
जवाब देंहटाएं💯💯💯🔥🔥🔥🙏🙏🙏🙏
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