भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Niyantrak evam Mahalekha Parikshak UPSC) (CAG of India UPSC in Hindi)
Table of Contents
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भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक 1948 - 2023
क्रमांक |
नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक |
कार्यकाल का आरम्भ |
कार्यकाल का अन्त |
1 |
वी० नरहरि राव |
1948 |
1954 |
2 |
ए० के० चन्द |
1954 |
1960 |
3 |
ए० के० राय |
1960 |
1966 |
4 |
एस० रंगनाथन |
1966 |
1972 |
5 |
ए० बक्षी |
1972 |
1978 |
6 |
ज्ञान प्रकाश |
1978 |
1984 |
7 |
त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी |
1984 |
1990 |
8 |
सी० एस० सोमैया |
1990 |
1996 |
9 |
वी० के० शुंगलू |
1996 |
2002 |
10 |
वी० एन० कौल |
2002 |
2008 |
11 |
विनोद राय |
2008 |
2013 |
12 |
शशिकान्त शर्मा़ |
2013 |
2017 |
राजीव
महर्षि |
2017 |
2020 |
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14 |
गिरीशचंद्र मुर्मू |
2020 |
पदस्थ |
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CAG की पृष्ठभूमि
अंग्रेज़ों ने
जब वर्ष 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में
लिया था, उसी वर्ष महालेखाकार का कार्यालय स्थापित किया गया था। वर्ष 1860 में सर एडवर्ड
ड्रमंड को पहले ऑडिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 1866 में इस पद का नाम
बदलकर नियंत्रक महालेखा परीक्षक और वर्ष 1884 में फिर से नाम बदलकर इसे भारत के नियंत्रक
और महालेखापरीक्षक कर दिया गया।
भारत सरकार
अधिनियम, 1919 के तहत भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) पद को वैधानिक दर्जा दिया
गया था और महालेखापरीक्षक को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया।
भारत सरकार
अधिनियम, 1935 में महालेखापरीक्षक के पद की नियुक्ति और सेवा प्रक्रियाओं और महालेखापरीक्षक
के कर्त्तव्यों का उल्लेख था।लेखा और लेखा परीक्षा आदेश, 1936 ने महालेखापरीक्षक के
उत्तरदायित्वों और लेखा परीक्षा कार्यों का प्रावधान किया। यह व्यवस्था वर्ष 1947 तक
चलती रही।
स्वतंत्रता
के बाद भारतीय संविधान
के अनुच्छेद 148 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक नियंत्रक और महालेखापरीक्षक नियुक्त
किये जाने का प्रावधान किया गया।
वर्ष 1971 में
केंद्र सरकार ने नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें)
अधिनियम, 1971 लागू किया। नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा
की शर्तें) अधिनियम, 1971 ने CAG को केंद्र और राज्य सरकारों के लिये लेखांकन और लेखा
परीक्षा दोनों की ज़िम्मेदारी दी। वर्ष 1976 में CAG को लेखांकन के कार्यों से मुक्त
कर दिया गया।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की नियुक्ति और कार्यकाल (Appointments and Term of Comptroller and Auditor General of India in Hindi)
भारत के संविधान
के अनुच्छेद 148 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (cag of India) के स्वतंत्र कार्यालय का
वर्णन किया गया है | भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller &
Auditor General of India-CAG) भारत के संविधान के तहत एक स्वतंत्र प्राधिकरण
है। यह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग (Indian Audit & Accounts
Department) का प्रमुख है।
इस संस्था के
माध्यम से सरकार और अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों (सार्वजनिक धन खर्च करने वाले) की जवाबदेही
सुनिश्चित की जाती है। अपनी रिपोर्ट यह केंद्र स्तर पर राष्ट्रपति व राज्य स्तर पर
राज्यपाल को देता है |
भारत के कैग
(cag of India) का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष तक की अधिकतम आयु पूरी होने जो भी
पहले हो तक बना रह सकता है । वह अपना त्यागपत्र कभी भी राष्ट्रपति को सौंप सकता है।
भारत के नियंत्रक
और महालेखा परीक्षक (CAG-कैग) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह अपने पद का कार्यभार
संभालने से पहले राष्ट्रपति के समक्ष शपथ (तृतीय अनुसूची) लेता है।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की स्वतंत्रता (Independence of Comptroller and Auditor General-CAG of India)
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा सीएजी की नियुक्ति किया जाता है।
- CAG को पद
से हटाने हेतु विशेष प्रक्रिया (सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के तरीके के समान)।
- भारत की समेकित निधि/ संचित निधि (Consolidated fund) से वेतन और प्रभारित व्यय। CAG के कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, जिसमें सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं जिन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।
- CAG की कार्य अवधि समाप्त होने के बाद भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी भी सरकारी कार्यालय में कार्य करने की अनुमति न होना।
- CAG का वेतन और अन्य सेवा शर्तें नियुक्ति के बाद कम नहीं की जा सकतीं।
- CAG की प्रशासनिक शक्तियाँ और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत अधिकारियों की सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा CAG से परामर्श के बाद निर्धारित की जाती हैं।
CAG के कर्तव्य और शक्तियाँ
सीएजी के कर्त्तव्य:
संविधान के
अनुच्छेद 149 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लगभग प्रत्येक व्यय, राजस्व
संग्रहण या सहायता/अनुदान प्राप्त करने वाली इकाई CAG की लेखापरीक्षा के अंतर्गत आती
हैं।
CAG (cag of India) का कर्तव्य
निम्नलिखित की लेखापरीक्षा करना और उस पर रिपोर्ट तैयार करना है:
- संघ और राज्य
सरकार के कोष (समेकित निधि/ संचित
निधि) से संबंधित सभी प्राप्तियां और इनसे किये गये व्यय।
- भारत की आकस्मिक निधि और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों से संबंधित सभी लेन-देन।
- केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी
भी सरकारी विभाग में रखे गये सभी व्यापार, उत्पादन, लाभ और हानि खाते, तुलन पत्र और
अन्य सहायक खाते।
- सभी सरकारी कार्यालयों और विभागों के सभी स्टोर और स्टॉक खाते।
- सभी सरकारी कंपनियों और निगमों के खाते (जैसे ओएनजीसी, सेल आदि)।
- सरकारी धन प्राप्त करने वाले सभी स्वायत्त निकाय और प्राधिकरण के खाते।
- राष्ट्रापति या राज्यपाल के अनुरोध पर किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण के खाते।
- केंद्र के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट को राष्ट्रपति को सौंपता है, जो संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाती है। किसी राज्य के खातों से संबंधित अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है, जो राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है। (अनुच्छेद 151)
- CAG राष्ट्रपति को उस प्रपत्र के निर्धारण के बारे में सलाह दे सकता है जिसमें केंद्र और राज्यों के लेखों को दर्ज किया जाएगा (अनुच्छेद 150) ।
- CAG किसी भी प्रकार के कर या शुल्क से हुई निबल प्राप्ति सुनिश्चित और उसे प्रमाणित करता है।(अनुच्छेद 279)
- संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के मार्गदर्शक, मित्र और सलाहकार के रूप में कार्य करना।
सीएजी की शक्तियां:
1. लेखापरीक्षा
के अधीन किसी कार्यालय या संगठन के निरीक्षण करने की शक्ति।
2. सभी लेन-देनों
की जांच और कार्यकारी से प्रश्न करने की शक्ति।
3. किसी भी
लेखापरीक्षित तत्त्व से कोई भी रिकार्ड, पेपर, दस्तावेज मांगने की शक्ति।
4. लेखापरीक्षा
की सीमा और स्वरूप पर निर्णय लेने की शक्ति।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971
भारत सरकार
ने 1971 में संसद में एक विधेयक के रूप में उसके कर्तव्य, शक्ति व अधिकार के लिए नियंत्रक
और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 पारित किया
था |
तद्नुरूप ही
संसद द्वारा 1971 का अधिनियम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य शक्तियाँ और सेवा
शर्तें) अधिनियम लागू किया गया था । इस अधिनियम को वर्ष 1976 में केंद्र सरकार के लेखों
को लेखापरीक्षा से अलग करने की दृष्टि से संशोधित किया गया ।
CAG और लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC)
CAG लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों का क्या होता हैं?
संघ के मामले
में सीएजी के प्रतिवेदन राष्ट्रपति को और राज्य मामले में राज्यपाल को प्रस्तुत किये
जाते हैं जो उन्हें सदन के समक्ष प्रस्तुत करता है। एक बार सदन में प्रस्तुत किये जाने
के बाद, प्रतिवेदन लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC)/लोक उपक्रम समिति
की केंद्रीय और राज्य स्थाई समितियों को स्थाई रूप से संदर्भित हो जाते हैं। ये विशिष्टम
समितियां वार्षिक लेखे और उन पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों की समयबद्ध और गहन संवीक्षा
उपलब्ध करवाने के लिए गठित की गई हैं। समितियां लोक हित के सर्वाधिक महत्वपूर्ण निष्कीर्षों
और सिफारिशों को CAG प्रतिवेदनों से चुनते है और उन पर अपनी राय रखते हैं।
CAG (cag of India) इस कार्य
में इन समितियों को अपना तकनीकी सहायता करते हैं। समितियों की सुनवाईयों पर, कार्रवाई/गैर
कार्रवाई के लिए जिम्मेदार कार्यकारी को बुलाया जा सकता है। उनकी जांच के आधार पर,
समिति अपने प्रतिवेदन तैयार करते है और विधान मंडल को प्रस्तुत करते है जो समिति की
सुनवाईयों, कार्यकारी द्वारा की गई कार्रवाई और प्रशासनिक प्रथाओं और कार्यप्रणालियों
को सुधारने के लिए सिफारिशों को शामिल कर सारबद्ध करती है।
CAG लेखापरीक्षा प्रतिवेदन का उद्देश्य
लेखापरीक्षा
का उद्देश्य प्रबंधन में और सरकारी गतिविधियों और कार्यक्रमों में सुधार करना है।
CAG पहचानी गई त्रुटियों की प्रकृति को सुनिश्चिनत करते हैं कि वे एकाकी या पुनरावर्ती
प्रकार की है। CAG न केवल सुधारात्मक कार्रवाई को प्रेरित करना चाहते हैं अपितु यह
भी सुनिश्चितत करना चाहते हैं कि दोबारा गलती न दोहराई जाये। CAG कार्यप्रद्धति, प्रक्रियाएं
और प्रसंस्करणों को सुधारने के लिए उचित, सूचित और कार्यान्वयन योग्य सिफारिशें करते
हैं।
सीएजी अपनी भूमिका कैसे निभाता है?
सीएजी का अपनी
संविधानात्मक भूमिका को निभाने के लिए भारतीय लेखा तथा लेखापरीक्षा विभाग द्वारा सहायता
प्रदान की जाती है।
सीएजी को पद से हटाना
संविधान में
CAG को हटाने (पदमुक्त) की प्रक्रिया भी निर्धारित है। भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक
(cag of India) को राष्ट्रपति ठीक उसी तरीके और उसी आधार पर पद से हटा सकता है जैसे
कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है (अनुच्छेद 148) ।
संक्षेप में
कहें तो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को राष्ट्रपति द्वारा तब ही हटाया जा सकता है
जब संसद के दोनों सदनों द्वारा उसके दुर्व्यवहार या अक्षमता सिद्ध होने पर विशेष बहुमत
(2/3) से प्रस्ताव पारित कर दिया जाए ।
CAG से सम्बन्धित संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद
148- CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्त।
अनुच्छेद
149- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों
और शक्तियां ।
अनुच्छेद
150- संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप ।
अनुच्छेद
151- संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो संसद के
प्रत्येक सदन के पटल पर रखी जाएगी। राज्य के खातों से संबंधित ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल
को सौंपी जाएगी, जो राज्य विधानमंडल के के पटल पर रखी ।
अनुच्छेद
279- ‘शुद्ध आय’(संग्रहण की लागत हटा कर) की गणना
CAG द्वारा प्रमाणित की जाती है, जिसका प्रमाणपत्र अंतिम माना जाता है।
तीसरी अनुसूची-
भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची भारत के CAG और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों
द्वारा ली जाने वाली शपथ का प्रावधान ।
छठी अनुसूची-
ज़िला परिषद या क्षेत्रीय परिषद के खातों को राष्ट्रपति और CAG द्वारा अनुमोदित प्रारूप
के अनुसार रखा जाना चाहिये।
ब्रिटेन के CAG से तुलना
- भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG of India) केवल महालेखापरीक्षक की भूमिका निभाता है, जबकि ब्रिटेन में महालेखापरीक्षक के साथ-साथ इसमें नियंत्रक महालेखाकार की शक्ति भी निहित होती है।
- भारत में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG of India) पैसा खर्च होने के बाद खातों का लेखा-जोखा करता है, जबकि UK में CAG की मंज़ूरी के बिना सरकारी खजाने से कोई पैसा निकाला ही नहीं जा सकता है।
- भारत में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) संसद का सदस्य नहीं होता, जबकि ब्रिटेन में कैग हाउस ऑफ कॉमंस का सदस्य होता है।
प्रश्न और उत्तर (QnA)
Q. वर्तमान (2021) में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (cag of India)कौन है/नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 2021 कौन है?
A. वर्तमान
में भारत के नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक गिरीशचंद्र मुर्मू है/नियंत्रक एवं
महालेखा परीक्षक 2021 गिरीशचंद्र मुर्मू है।
Q. सीएजी (cag of India)की स्थापना कब हुई?
A. स्वतंत्रत
भारत के सीएजी की
स्थापना 1948 में हुई।
Q. भारत
के पहले CAG कौन थे? भारत
के प्रथम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
कौन थे
A. स्वतंत्रत भारत के पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG of India) वी० नरहरि राव थे, जिनका कार्यकाल 1948 से 1954 तक था।
Q.
आर्टिकल 148 क्या है?
A. आर्टिकल
148 भारत के नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक (CAG of India) से सम्बंधित है।
Q. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक 2019 कौन है?
A. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक 2019 राजीव महर्षि
थे, जिनका कार्यकाल 2017 से 2020
तक था।
Q. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक 2020 कौन है?
A. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक 2020 राजीव महर्षि थे, जिनका कार्यकाल 2017 से 2020 तक था।
Q. भारत
के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
के कार्य/cag के कार्य क्या
है?
A. संविधान
के अनुच्छेद 149 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लगभग प्रत्येक व्यय, राजस्व
संग्रहण या सहायता/अनुदान प्राप्त करने वाली इकाई CAG की लेखापरीक्षा के अंतर्गत आती
हैं। CAG का कर्तव्य इनकी
लेखापरीक्षा करना और उस पर रिपोर्ट तैयार करना है।
Q. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन
करता है?/ महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन करता है?
A. भारत के
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक(cag of India) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती
है ।
Q. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक का वेतन कितना
है?/ cag का वेतन?
A. नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक का वेतन ₹2,50,000 प्रति
माह है।
Q. cag
full form/सीएजी (CAG) का
फुल फॉर्म/ सीएजी परिभाषा?
A. cag का
full form नियंत्रक और महालेखा
परीक्षक (Comptroller and Auditor General) है।
Q. सोमा राय
बर्मन कौन है? भारत का सीजीए
कौन है?/लेखा महानियंत्रक कौन है?
A.
सोमा रॉय बर्मन देश
की 24वीं महालेखा नियंत्रक है। इस
पद पर पहुंचने वाली सोमा रॉय बर्मन सातवीं महिला हैं। इनकी नियुक्ति 1 दिसंबर 2019
से प्रभावी है।
Q. सीएजी
और सीजीए में क्या अंतर
है?
A.
1. CAG का
पूरा नाम Comptroller and Auditor
Generel of India जबकि CGA
का पूरा नाम “Controller General of Accounts” है।
2. CAG क्षेत्र
संघीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तरों
के खातों और उनसे संबंधित
गतिविधियों का लेखा-जोखा
रखता है जबकि CGA भारत
सरकार के लेखा मामलों
के प्रमुख सलाहकार होते हैं।
3. CAG एक
स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जबकि CGA वित्त
मंत्रालय के अंदर आती
है।
4. CAG एक
संवैधानिक निकाय है जबकि CGA एक
संवैधानिक या वैधानिक निकाय
नहीं है।
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