Savinay Awagya Andolan | सविनय अवज्ञा आंदोलन | Civil Disobedience Movement in Hindi | दांडी मार्च-Dandi March in Hindi

Savinay Awagya Andolan | सविनय अवज्ञा आंदोलन | Civil Disobedience Movement in Hindi | दांडी मार्च-Dandi March in Hindi

Table of Contents

1. सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि

  • ·  असहयोग आन्दोलन
  • ·  स्वराज दल
  • ·  साइमन कमीशन
  • ·  कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929

2. सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत

  • ·    गाँधीजी की 11 की सूत्रीय मांगे
  • ·  दांडी मार्च
  • ·  आंदोलन के लिए तय किये गये कार्यक्रम 

3. सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रगति

4. सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया

5. अंग्रेज सरकार की प्रतिक्रिया

6. सविनय अवज्ञा आंदोलन में ठहराव

  • ·  गाँधी-इरविन समझौता, 1931
  • ·  कांग्रेस का कराची अधिवेशन, 1931
  • ·  दूसरा गोलमेज सम्मेलन

7. सविनय अवज्ञा आंदोलन पुनः प्रारंभ

8. सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्ति का निर्णय

9. सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का कारण

10. सविनय अवज्ञा आंदोलन की सफलताएं - उपलब्धियां

11. सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े व्यक्तित्व

12. FAQ

 

 

1. सविनय अवज्ञा आंदोलन (Savinay Awagya Andolan) की पृष्ठभूमि | सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण 

(a) असहयोग आन्दोलन (Asahyog Andolan)

गाँधी जी द्वारा 1 अगस्त 1920 को औपचारिक रूप से असहयोग आंदोलन (Non Cooperation Movement) की शुरुआत की गई थी। इस आंदोलन का लक्ष्य स्वराज की प्राप्ति था। लेकिन असहयोग आन्दोलन को लगभग एक साल से ज्यादा का समय हो चूका था और अंग्रेज सरकार समझौता करने के लिए राजी नहीं थी। इस कारण गांधीजी पर राष्ट्रीय  स्तर पर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का दबाव पड़ने लगा था।


गाँधी जी द्वारा यह आंदोलन सूरत के बारदोली तालुका से शुरू किया जाने वाला था। लेकिन संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के गोरखपुर जिले में घटित चौरी चौरा की घटना ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को 1930 तक के लिए टाल दिया।



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(b) स्वराज दल

1 जनवरी 1923 को C.R.Das और मोतीलाल नेहरू द्वारा कांग्रेस खिलाफत स्वराज पार्टी’ का गठन किया गया था। इसी को बाद में 'स्वराज पार्टी' के  नाम से जाना गया। C.R.Das इसके अध्यक्ष और मोतीलाल नेहरू इसके महामंत्री थे।


इन्होने विधान परिषद् में हिस्सा लेने का समर्थन किया और चुनाव में अच्छी सफलता प्राप्त की। विधान परिषद् में सरकार  को पराजित करने का उल्लेखनीय प्रयास  किया  और अंग्रेजो के असली चेहरे को जनता के सामने लेन का कार्य किया स्वराजियों के इस कार्य से  लोगो में अंग्रेजो के प्रति घृणा का विकास हुआ और भावी आंदोलन के लिए भूमि तैयार हुई।

 


(c) साइमन कमीशन (Simon Commission)

भारत में सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 8 नवम्बर, 1927 को एक आयोग नियुक्त किया गया। इसका औपचारिक नाम “भारतीय संवैधानिक आयोग था। इसे आमतौर पर सर जॉन साइमन के नाम पर ‘साइमन कमीशन' (Simon commission) कहा गया।


साइमन आयोग का मुख्य कार्य भारत की संवैधानिक प्रगति अर्थात सरकारी व्यवस्था, शिक्षा एवं अन्य मुद्दों का अध्ययन कर उसमे सुधार एवं सुझाव पर रिपोर्ट देना था।


साइमन कमीशन में अध्यक्ष सहित कुल 7 सदस्य (ब्रिटिश सांसद) थे। सभी सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया था। इस कारण साइमन कमीशन को 'श्वेत कमीशन' (White Commission) भी कहा जाता है।


साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल न किये जाने के कारण भारतीयों में क्षोभ उत्पन्न होना स्वाभाविक था। इस क्षोभ ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए पृष्ठभूमि प्रदान की।



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(d) कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन, 1929

31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में रावी नदी के तट पर हुआ था इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के पूर्ण स्वराज का घोषणा-पत्र तैयार किया गया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया गया 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया।


इस अधिवेशन में कांग्रेस ने कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन (नागरिक अवज्ञा आंदोलन) प्रारंभ करने का पूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया।



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2. सविनय अवज्ञा आंदोलन (Savinay Awagya Andolan) की शुरुआत

(a) गाँधीजी की 11 की सूत्रीय मांगे -

2 मार्च 1930 को गांधीजी ने वाइसराय को पत्र लिख कर अंग्रेजी शासन के दुष्प्रभावों का उल्लेख किया। साथ ही यंग इंडिया’ में लेख प्रकाशित करके अपनी 11 सूत्रीय मांगो को सरकार के सामने रखा। गाँधी जी ने यह  भी कहा की अगर सरकार 31 जनवरी, 1930 तक इन 11 सूत्रीय मांगो को पूरा  करने के लिए कोई प्रयास नहीं करती है तो वे नमक कानून का उल्लंघन करेंगे।

 


गाँधीजी की 11 की सूत्रीय मांगे -

    1. सिविल सेवाओं और सेना के खर्चे में 50% तक की कमी की जाये।
    2. नशीली वस्तुओं के विक्रय पर पूरी तरह से रोक लगायी जाये।
    3. C.I.D विभाग पर सार्वजानिक नियंत्रण हो या उन्हें समाप्त कर दिया जाये।
    4. शस्त्र कानून में परिवर्तन किया जाये और भारतियों को आत्मरक्षा के लिए हथियार  रखने का अधिकार दिया जाये।
    5. सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाये।
    6. डाक आरक्षण बिल पास किया जाये। 
    7. रुपये की विनिमय दर घटा कर 1 शिलिंग 4 पेन्स की जाये।
    8. रक्षात्मक शुल्क लगाए जाये और विदेशी कपड़ो के आयात पर नियंत्रण रखा जाए।
    9. तटीय यातायात रक्षा विधेयक पास किया जाए।
    10. लगान में 50% की कमी की जाये।
    11. नमक कर समाप्त किया जाये और नमक पर सरकारी एकाधिकार समाप्त कर दिया जाये।



(b) दांडी मार्च (12 मार्च से 6 अप्रैल, 1930) | Dandi March in Hindi

फ़रवरी, 1930 तक सरकार द्वारा गाँधी जी के 11 सूत्रीय मांगो का कोई जबाब नहीं दिया गया। अतः गाँधी जी ने नमक कानून तोड़ने के लिए आंदोलन प्रारंभ  करने का निश्चय किया।

 

गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम  के अपने 78 सहयोगियों के साथ डंडी के लिए पदयात्रा प्रारंभ की। इस पदयात्रा को डंडी मार्च (Dandi March in Hindi) के नाम से जाना जाता है। गाँधी जी गुजरात  के गावों में से होते हुए 24 दिनों में 240 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए 5 अप्रैल को दांडी पहुंचे  और  6 अप्रैल,1930 को प्रातः काल महात्मा गाँधी ने समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया। यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत हुई।

 

सरदार पटेल ने आगे-2 चलकर लोगों को गाँधीजी के स्वागत के लिये तैयार किया। इस यात्रा के दौरान गांधीजी ने कई जनसभाओं को संबोधित किया और सैकड़ों लोगो ने उनका सन्देश सुना। गांधीजी के कहने पर गुजरात के 300 ग्राम अधिकारियो द्वारा त्यागपत्र दे दिया गया।

 


(c) गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन के  लिए तय किये गये कार्यक्रम

9 अप्रैल को गांधीजी ने एक निर्देश जारी करके आंदोलन के लिए निन्मलिखित कार्यक्रम तय किये -

  • · जहां कहीं भी संभव हो लोग नमक कानून तोड़कर नमक तैयार करे।
  • ·  शराब की दुकानों, विदेशी वस्त्रो की दुकानों तथा अफीम के ठेकों के सामने धरने आयोजित किये जाये। 
  • ·  यदि हम लोगो के पास पर्याप्त शक्ति है तो हम कर अदा करना अस्वीकार कर सकते है।
  • ·  वकील अपनी वकालत छोड़ सकते है।
  • ·  आम जनता अपने मुकदमों की याचिकाओं को कोर्ट में न ले जा कर न्यायालयों का बहिष्कार कर सकते है।
  • ·  सरकारी कर्मचारी अपने पदों से त्यागपत्र दे सकते है।
  • ·  छात्र, सरकारी स्कूल और कॉलेजों का बहिष्कार करे।
  • ·  लोग घरों में चरखा कातें और सूत बनाये।
  • ·  इन कार्यक्रमों में अहिंसा को सर्वोपरि रखा जाये।


3. सविनय अवज्ञा आंदोलन (Savinay Awagya Andolan) की प्रगति






11. सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े व्यक्तित्व

  • महात्मा गाँधी
  • सी.राजगोपालाचारी
  • वल्लभभाई पटेल
  • पंडित जवाहर लाल नहेरू
  • मोतीलाल नेहरू
  • राजेन्द्र प्रसाद
  • अब्दुल बारी 
  • सरोजिनी नायडू
  • के. कलप्पन
  • खान अब्दुल गफ्फार खान
  • सूर्यसेन
  • रानी गैडिनलियू

 


12. FAQ

Q. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब आरंभ हुआ?

 A.सविनय अवज्ञा आंदोलन की औपचारिक घोषणा 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी के नेतृत्व में हुई थी


Q. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किसके नेतृत्व में शुरू हुआ था?

 A.सविनय अवज्ञा आंदोलन 6 अप्रैल, 1930 को  गाँधीजी के नेतृत्व में शुरू हुआ था


Q. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों चलाया गया?

 A.सविनय अवज्ञा आंदोलन पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति के लिए चलाया गया था।


Q. कौन सा आंदोलन दांडी मार्च से शुरू हुआ था?

 A.सविनय अवज्ञा आंदोलन दांडी मार्च से शुरू हुआ था


Q.सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?

 A.सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति था।


Q. सविनय अवज्ञा आंदोलन को अंतिम रूप से कब वापस लिया गया?

A. अप्रैल 1934

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