Poona Pact 1932 in Hindi | Communal Award 1932 in Hindi

Table of Contents

1. कम्युनल अवार्ड 1932 या साम्प्रदायिक पंचाट 1932

2. पूना समझौता 1932 या पूना पैक्ट 1932 (Poona Pact 1932)

3. प्रश्न और उत्तर (QnA)


1. कम्युनल अवार्ड/ साम्प्रदायिक पंचाट 1932

ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्मजे मैक्डोनल्ड ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार विमर्श के फलस्वरूप 16 अगस्त 1932 को कम्युनल अवार्ड की घोषणा की। इस निर्णय में दलितो को भी मुस्लिम, सिख आदि की तरह पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान किया गया।

 

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दलित वर्ग को दो जगह वोट देने का अधिकार मिला। एक सामान्य निर्वाचन क्षेत्र में और दूसरा विशेष निर्वाचन क्षेत्र में जो दलित वर्ग के लिए आरक्षित था। दलित प्रतिनिधि को चुनने में गैर दलित वर्ग अर्थात सामान्य वर्ग की कोई भूमिका नहीं रही। लेकिन दूसरी ओर दलित वर्ग अपने दूसरे वोट के माध्यम से सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि को चुनने में अपनी भूमिका निभा सकता था।


गाँधीजी द्वारा इस सिद्धांत का विरोध किया गया था। लेकिन उन्होंने मुस्लिमों या सिखों के लिए समान प्रावधानों पर कोई आपत्ति नहीं जताई


1928 में साइमन कमीशन ने भी माना था कि भारत के शोषित समाज को शासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

 

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कम्युनल अवार्ड / साम्प्रदायिक निर्णय 1932 के प्रावधान

1. मुसलमानों, सिखों, यूरोपियों, आंग्ल-भारतीय, भारतीय ईसाइयों तथा स्त्रियों को भी पृथक सांप्रदायिक मताधिकार प्रदान किया गया।


2. प्रांतीय  विधानमंडल में  साम्प्रदायिक  आधार पर स्थानों का वितरण किया गया।


3. सभी प्रांतो को विभिन्न सम्प्रदायों के निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित  कर  दिया गया ।


4. अन्य शेष मतदाता, जिन्हे पृथक निर्वाचन क्षेत्रों में मताधिकार प्राप्त नहीं हो सका था उन्हें सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान का अधिकार प्रदान किया गया।


5. बम्बई प्रान्त में सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में से 7 स्थान मराठो के लिए आरक्षित किये गए।


6. विशेष निर्वाचन क्षेत्रों में दलित जाति के मतदाताओं के लिए दोहरी व्यवस्था की गयी। उन्हें सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों तथा विशेष निर्वाचन क्षेत्रों दोनों जगह मतदान का अधिकार  गया।


7. सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में दलित जातियों के निर्वाचन का अधिकार बना रहा।


8. दलित जातियों के लिए विशेष निर्वाचन की यह व्यवस्था 20 वर्षो  के लिए की गयी।


9. दलितों को अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता दी गयी।

 

 

2. पूना समझौता 1932 | पूना पैक्ट 1932 (Poona Pact 1932)

महात्मा गाँधी का आमरण अनशन


गाँधीजी इस समय पूना की यरवदा जेल में थे। कम्युनल एवार्ड की घोषणा होने पर उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर इसे बदलवाने का प्रयास किया, परंतु जब गाँधीजी ने देखा के यह निर्णय बदला नहीं जा रहा, तो उन्होंने आमरण अनशन रखने की घोषणा कर दी।


अतः गाँधीजी ने 20 सितम्बर 1932 को पूना की यरवदा जेल में अछूतों को मिले ‘पृथक निर्वाचन मण्डल तथा दो मतों के अधिकार के विरोध में आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।


26 सितंबर 1932 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, पुरुषोत्तम दास, राजगोपालाचारी, एम. आर. जयकर, तेज बहादुर, एम. सी. रजा व मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से गांधी जी और डॉ॰ बी. आर. अंबेडकर के मध्य पूना समझौता हुआ जिसमें संयुक्त हिंदू निर्वाचन व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के लिए स्थान आरक्षित रखने पर सहमति बनी। इस समझौते को पूना समझौता/पूना पैक्ट (Poona Pact 1932) कहा जाता है।


पूना समझौते (Poona Pact 1932) पर 24 सितंबर 1932 को शाम 5 बजे 23 लोगों ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर सवर्ण हिंदुओं की ओर से मदन मोहन मालवीय ने और दलित वर्गों की ओर से डॉ॰ बी.आर. अंबेडकर ने हस्ताक्षर किए

 

 

इस समझौते के अनुसार

1. दलित वर्ग के लिये पृथक निर्वाचक मंडल समाप्त कर दिया गया तथा व्यवस्थापिका सभा में अछूतों के स्थान हिंदू वर्ग के अंतर्गत ही सुरक्षित रखे गये।

2. दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 147 और केन्द्रीय विधायिका में कुल सीटों की 18% कर दीं गयीं।


3. मद्रास में 30, बंगाल में 30 मध्य प्रांत एवं संयुक्त प्रांत में 20-20, बिहार एवं उड़ीसा में 18 बम्बई एवं सिंध में 15, पंजाब में 8 तथा असम में 7 स्थान दलितों के लिये सुरक्षित किये गए।


4. केंद्रीय विधानमंडल में दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिये संयुक्त निर्वाचन की प्रक्रिया तथा प्रांतीय विधानमंडल में प्रतिनिधियों को निर्वाचित करने की व्यवस्था को मान्यता दी गई।


5. दलित वर्ग को सार्वजनिक सेवाओं तथा स्थानीय संस्थाओं में उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उचित प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था की गई। 


ब्रिटिश सरकार ने पूना समझौता 1932 को कॉम्युनल एवार्ड में संशोधन के रूप में अनुमति प्रदान कर दी। बाद में यह पूना पैक्ट स्वतंत्र भारत के संविधान में दलित वर्ग के लिए आरक्षण पद्धति के लिए आधार बना था

 

 

3. प्रश्न और उत्तर (QnA)

Q. कब और क्यों पूना संधि पर हस्ताक्षर किए?/पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर/ पूना समझौता कब हुआ था?

A. पूना समझौते (Poona Pact 1932) पर 24 सितंबर 1932 को हस्ताक्षर किए गए थे।

 

Q. पूना पैक्ट का उद्देश्य क्या था?

A. पूना पैक्ट (Poona Pact 1932) का उद्देश्य अछूतों को मिले ‘पृथक निर्वाचन मण्डल तथा दो मतों के अधिकार को समाप्त करवाना था।

 

Q. कम्युनल अवार्ड क्या था?

A. ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्मजे मैक्डोनल्ड ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार विमर्श के फलस्वरूप 16 अगस्त 1932 को कम्युनल अवार्ड की घोषणा की। इसमें दलितो को भी मुस्लिम, सिख आदि की तरह पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान किया गया।

 

Q. 1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ?

A. इस समझौते के परिणाम-

1. दलित वर्ग के लिये पृथक निर्वाचक मंडल समाप्त कर दिया गया

2. दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों और केन्द्रीय विधायिका में बढ़ा दी गयी।

3. केंद्रीय विधानमंडल में दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिये संयुक्त निर्वाचन की प्रक्रिया तथा प्रांतीय विधानमंडल में प्रतिनिधियों को निर्वाचित करने की व्यवस्था को मान्यता दी गई।

4. सार्वजनिक सेवाओं तथा स्थानीय संस्थाओं में दलित वर्ग को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उचित प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था

 

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