साइमन कमीशन | Simon Commission 1927 in Hindi | Simon Go Back Movement

साइमन कमीशन | Simon Commission 1927 in Hindi | Simon Go Back Movement

Table of contents

1. साइमन कमीशन, 1927 की पृष्ठभूमि

2. साइमन कमीशन 1927

3. कमीशन के सदस्य

4. कांग्रेस का मद्रास अधिवेशन, 1927

5. Simon Go Back Movement

6. वाइसराय लार्ड इरविन की घोषणा

7. साइमन कमीशन रिपोर्ट, 1930

8. प्रश्न और उत्तर (QnA)

 

 

1. साइमन कमीशन, 1927 की पृष्ठभूमि

भारत शासन अधिनियम, 1919 (Government of India Act 1919)/ मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार 1919 (Montague Chelmsford Reformation 1919) में 10 वर्ष पश्चात् भारत में उत्तरदायी सरकार की प्रगति की दिशा में किये गये कार्यों की समीक्षा का प्रावधान किया गया था । इसके अनुसार सरकार को इस कार्य के लिए 1931 ई. में एक आयोग नियुक्त करना था, लेकिन सरकार ने 1927 ई. में ही इस आयोग की नियुक्ति कर दी।


ब्रिटिश सरकार का कहना था कि भारतीयों की मांगों के अनुसार शासन में जल्द सुधार लाने के उद्देश्य से आयोग की नियुक्ति समय से पूर्व की गयी थी

 

साइमन कमीशन क्यों लाया गया?

1. उस समय भारत में सांप्रदायिक दंगे अपने चरम पर थे और भारत की एकता कमजोर हो रही थी। ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि यह आयोग भारतीयों के सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन के विषय में नकारात्मक विचार लेकर लौटे। इस प्रकार ब्रिटेन की रूढ़िवादी सरकार भारत की छवि नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करना चाहती थी।

2. ब्रिटेन में आम चुनाव 1929 में होने वाला था। लिबरल दल को चुनाव में मजदूर दल से हारने का डर था। अतः वे यह नहीं चाहते थे कि भारतीय समस्या को सुलझाने का मौका मजदूर दल को मिले।

3. स्वराज दल के द्वारा सुधार की जोरदार मांग की गयी थी।

4. जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में युवा आन्दोलन का उभरना।


2. साइमन कमीशन 1927 (Simon Commission 1927 in Hindi/ about simon commission)

ब्रिटिश संसद द्वार भारत में सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करने के लिए सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 8 नवम्बर, 1927 को एक आयोग नियुक्त किया गया, जिसे सर जॉन साइमन के नाम पर ‘साइमन कमीशन(Simon commission) कहा गया। इसका औपचारिक नाम भारतीय संवैधानिक आयोग” था।


साइमन आयोग का मुख्य कार्य भारत की संवैधानिक प्रगति यानि सरकार व्यवस्था, शिक्षा एवं अन्य मुद्दों का अध्ययन कर उसमे सुधार एवं सुझाव पर रिपोर्ट देना था।


साइमन कमीशन में अध्यक्ष सहित कुल 7 सदस्य (ब्रिटिश सांसद) थे। इसमें ब्रिटेन के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों - कंजर्वेटिव, लिबरल और लेबर के प्रतिनिधि शामिल थे। साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया था। एक भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किये जाने  के कारण साइमन कमीशन को श्वेत कमीशन (White Commision) भी कहा जाता है।


भारतीयों को सम्मिलित न करने का कारण यह बताया गया कि चूंकि कमीशन को अपनी रिपोर्ट ब्रिटिश संसद को देनी है, इसलिए उसमें ब्रिटिश संसद के सदस्यों को ही सम्मिलित किया जाना उचित था। किन्तु इस समय दो भारतीय लॉर्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा और मि. सकलातवाला भी ब्रिटिश संसद के सदस्य थे। इन्हें सदस्य बनाया जा सकता था।

 

भारत के वायसराय लॉर्ड इर्विन (Viceroy Lord Irwin) ने ही साइमन कमीशन (Simon Commission) में किसी भी भारतीयों सदस्य को शामिल किए जाने के लिए लिखित में कहा था।

 

 

3. साइमन कमीशन/आयोग के सदस्य/ members of simon commission

  1. सर जॉन साइमन, स्पेन वैली के सांसद (लिबरल पार्टी)
  2. क्लेमेंट एटली, लाइमहाउस के सांसद (लेबर पार्टी)
  3. हैरी लेवी-लॉसन, (लिबरल यूनियनिस्ट पार्टी)
  4. सर एडवर्ड सेसिल जॉर्ज काडोगन, फ़िंचली के सांसद (कंज़र्वेटिव पार्टी)
  5. वर्नन हार्टशोम, ऑग्मोर के सांसद (लेबर पार्टी)
  6. जॉर्ज रिचर्ड लेन – फॉक्स, बार्कस्टन ऐश के सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी)
  7. डोनाल्ड स्टर्लिन पामर होवार्ड, कम्बरलैंड नॉर्थ के संसद

 

 

4. कांग्रेस का मद्रास अधिवेशन, 1927

इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल किये जाने के कारण भारतीयों में क्षोभ उत्पन्न होना स्वाभाविक था।

1927 में कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में साइमन कमीशन के पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया। कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन के अध्यक्ष एम.ए. अंसारी थे।

 

 

5. Simon Go Back Movement in Hindi/ boycott of simon commission

चौरी चौरा की घटना (1922) के बाद  गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया था। जिसके कारण भारत में आजा़दी की लड़ाई का आंदोलन  शिथिल पड़ गया था। इसी समय ब्रिटिश शासन के द्वारा साइमन कमीशन की नियुक्ति का कार्य किया गया जिसने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की।


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कांग्रेस ने मद्रास अधिवेशन, 1927 में इस कमीशन का विरोध करने का निर्णय लिया। इसके साथ मुस्लिम लीग ने भी साइमन कमीशन का बहिष्कार का फैसला किया हिन्दू महासभा, किसान-मजदूर पार्टीऔर लिबरल फेडरेशन ने भी कमीशन का विरोध करने का निर्णय किया केन्द्रीय विधानसभा ने भी कमीशन का स्वागत करने से मना कर दिया।

 

साइमन कमीशन के समर्थक

सर मोहम्मद शफी के नेतृत्व में मुस्लिम लीग के एक वर्ग ने कमीशन का स्वागत करने का निश्चय किया। द्रास की जस्टिस पार्टी और पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी ने भी कमीशन का बहिष्कार नहीं करने का फैसला किया। B. R. Ambedkar ने भी कमीशन का सहयोग किया था।



3 फ़रवरी, 1928 . को जब आयोग के सदस्य बम्बई पहुँचे तो इसके ख़िलाफ़ उस दिन देश भर में एक अभूतपूर्व हड़ताल तथा विरोध प्रदर्शन जुलूसों का आयोजन किया गया। साइमन आयोग कोलकाता लाहौर लखनऊ, विजयवाड़ा और पुणे सहित जहाँ जहाँ भी पहुंचा उसे जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। आयोग को काले झण्डे दिखाए गए एवं 'साइमन वापस जाओ'(Simon Go Back) के नारे लगाये गए।


लखनऊ में हुए लाठीचार्ज में पंडित जवाहर लाल नेहरू घायल हो गए और इन लाठियों की मार ने गोविन्द बल्लभ पन्त को जीवन भर के लिए अपंग बना दिया।


30 अक्टूबर 1928 को कमीशन जब लाहौर पहुंचा तो वहां की जनता ने लाला लाजपत राय (शेर-ए-पंजाब) के नेतृत्व में काले झंडे दिखाए और साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाये। यह देखकर पुलिस अधीक्षक स्कॉट ने लाठीचार्ज का आदेश दिया तथा उप अधीक्षक सांडर्स द्वारा बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया। पुलिस की लाठियों का शिकार लाला लाजपत राय भी हुए और अंतत: इस कारण 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई।


मरने से पहले लाला लाजपत राय का ऐतिहासिक कथन -

"मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में कील का काम करेगी"

 

 

6. वाइसराय लार्ड इरविन की घोषणा

भारतीयों का विरोध को देखते हुए वाइसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में घोषणा की कि भारत के भविष्य के संविधान के लिए लंदन में एक गोलमेज सम्मलेन आयोजित किया जाएगा।


इन गोलमेज सम्मेलनों (1930-32) में कोई खास नतीजा निकला। साइमन रिपोर्ट (Simon Report) आगे चलके भारतीय संविधान अधिनियम, 1935 का आधार बना।

 

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7. साइमन कमीशन रिपोर्ट, 1930 (recommendation of simon commission/report of simon commission in hindi)

साइमन कमीशन ने 27 मई, 1930 . को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी। कमीशन दो बार भारत आया तथा अपनी रिपोर्ट तैयार करने में इसे 2 वर्ष से अधिक समय लगा।

 

साइमन कमीशन की रिपोर्ट में मुख सिफ़ारिशें इस प्रकार थी –


1. प्रांतीय क्षेत्र में कानून तथा व्यवस्था सहित सभी क्षेत्रों में उत्तरदायी सरकार गठित की जाए

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार अधिनियम 1919 (1919 Govt. of India Act) द्वारा स्थापित प्रांतों में द्वैध् शासन व्यवस्था (Diarchy System) को समाप्त करके प्रान्तों को स्वायत्तता दी जाए। समस्त प्रान्तीय शासन मंत्रियों को सौंप दिया जाये और उन्हें प्रांतीय विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनाया जाये। साथ ही यह भी सिफारिश की गयी कि प्रांतीय गवर्नर को कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये जायें।


2. केंद्रीय विधान मण्डल को पुनर्गठित किया जाय जिसमें संघीय भावना का पालन किया जाय। साथ ही इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय विधान मण्डलों द्वारा चुने जाएं


3. केन्द्र में उत्तरदायी सरकार के गठन न किया जाये क्योकि अभी इसके लिए उचित समय नहीं आया है।


4. प्रांतों की विधान सभाओं का विस्तार किया जाये और उसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से किया जाना चाहिए।


5. मताधिकार का विस्तार (2.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक) किया जाये।


6. अल्पसंख्यकों के हितों के लिए गर्वनरों तथा गवर्नर जनरल को विशेष शक्तियाँ प्रदान की जाएं।


7. सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व को पूर्ववत् जारी रखने की सिपफारिश की गयी।


8. उच्च न्यायालय को भारत सरकार के नियंत्रण में रखा जाए।


9. भारत मंत्री को परामर्श देने के लिए भारत परिषद् को कायम रखा जाये, परन्तु उसकी शक्ति में कुछ कमी की जाये।


10. सेना के भारतीयकरण की आवश्यकता को स्वीकार किया गया।


11. बर्मा को भारत से सिन्ध को बम्बई से पृथक कर देने की सिफारिश की गयी. यह भी कहा गया कि उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के पिछड़े होने के कारण उसे अभी प्रांतीय स्वशासन नहीं दिया जाना चाहिए।


12. प्रति 10 वर्ष के बाद भारत की संवैधानिक प्रगति की जांच करने के लिए एक संविधान आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए।


 

साइमन कमीशन रिपोर्ट मूल्यांकन

  • भारतीयों की औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग अस्वीकार
  • केन्द्र में उत्तरदायी शासन की स्थापना करने की मांग को अस्वीकार
  • प्रांतीय गर्वनरों को विशेष शक्तियां प्रदान करने की सिफारिश की गयी, जिससे उत्तरदायी शासन का महत्त्व कम
  • साइमन कमीशन ने अप्रत्यक्ष और अस्थायी तौर पर देश के विभिन्न समूहों और दलों को एकजुट कर दिया और आपसी फूट एवं मतभेद की स्थिति से उबरने एवं राष्ट्रीय आन्दोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला।
  • साइमन आयोग की भारत में कड़ी आलोचना की गई, फिर भी उसकी अनेक बातों को 1935 . के 'भारत सरकार अधिनियम' में स्वीकार किया गया

 

 

8. प्रश्न और उत्तर (QnA)

Q. साइमन कमीशन का भारतीयों ने क्यों विरोध किया? (the simon commission was boycotted because?)

A. साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया था। इसलिए साइमन कमीशन का भारतीयों ने विरोध किया।

 

Q. साइमन कमीशन का जन्म कब हुआ? (simon commission date | simon commission year)

A. साइमन कमीशन का जन्म 8 नवम्बर, 1927 को हुआ

 

Q. कब और क्यों साइमन कमीशन भारत आया? | साइमन कमीशन का क्या उद्देश्य था?/ साइमन कमीशन का क्या मतलब था?

A. 3 फ़रवरी, 1928 . को साइमन कमीशन भारत आया। साइमन कमीशन का उद्देश्य भारत में सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करके रिपोर्ट देना था।

 

Q. साइमन कमीशन वापस जाओ (simon go back) किसका नारा है? | लाला लाजपत राय ने कौन सा नारा दिया था? | साइमन कमीशन वापस जाओ का नारा किसने दिया?

A. साइमन कमीशन वापस जाओ  नारा लाला लाजपत राय ने दिया था

 

Q. साइमन कमीशन का कौन एक सदस्य उदारवादी दल का था?

A. सर जॉन साइमन, स्पेन वैली के सांसद (लिबरल पार्टी)

 

Q. साइमन कमीशन के 7 सदस्य कौन थे? | साइमन कमीशन के कुल सदस्य थे?

A. साइमन कमीशन के 7 सदस्य –

  1. सर जॉन साइमन
  2. क्लेमेंट एटली
  3. हैरी लेवी-लॉसन
  4. सर एडवर्ड सेसिल जॉर्ज काडोगन
  5. वर्नन हार्टशोम
  6. जॉर्ज रिचर्ड लेन – फॉक्स
  7. डोनाल्ड स्टर्लिन पामर होवार्ड

 

Q. साइमन कमीशन कौन से सन में भारत आया?

A. साइमन कमीशन सन 1928 में भारत आया

 

Q. साइमन कमीशन मुंबई कब पहुंचा? (arrival of simon commission)

A. 3 फ़रवरी, 1928 . को साइमन कमीशन मुंबई पहुंचा

 

Q. साइमन कमीशन के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कौन था?

A. साइमन कमीशन 8 नवम्बर, 1927 में नियुक्त हुआ। इस समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री स्टेनली बाल्डविन (Stanley Baldwin) थे

 

Q. लाला लाजपत राय की मृत्यु कब हुई?

A. लाला लाजपत राय की मृत्यु 17 नवंबर 1928 को हुई

 

Q. लाला जी की मृत्यु कैसे हुई?

A. 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में हुये पुलिस के लाठीचार्ज से

 

Q. लाला लाजपत राय का दूसरा नाम क्या है?

A. लाला लाजपत राय का दूसरा नाम शेर--पंजाब है

 

Q. भगत सिंह ने सांडर्स की हत्या क्यों की? | सांडर्स को गोली क्यों मारी? | सांडर्स की हत्या कब हुई?

A. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए पुलिस के डिप्टी एसपी सांडर्स को 17 दिसम्बर 1928 को गोली मारी गयी थी।

 

Q. साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कब प्रस्तुत की?

A. साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 1930 ई. को प्रस्तुत की

 

Q. साइमन कमीशन का नेतृत्व किसने किया था? (simon commission was headed by)

A. साइमन कमीशन का नेतृत्व सर जॉन साइमन ने किया था

 

Simon Commission 1927 in Hindi
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